गणेश चतुर्थी का पर्व कल यानि 7 सितंबर को मनाया जाएगा. यह पावन पर्व हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और दस दिनों तक उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. जो भगवान गणेश को समर्पित है. गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सभी प्रकार के दुख और कष्टों का नाश होता है. गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर अगर आप भी अपने घर में बप्पा की मूर्ति की स्थापित करने जा रहे हैं, तो मूर्ति खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में जानना बहुत जरूरी है। आइए यहां जानते हैं गजानन की प्रतिमा खरीदने का शुभ मुहूर्त.
यह भी पढ़ें :हाथरस: भीषड़ सड़क हादसा, बस ने मिनी ट्रक को मारी टक्कर, हादसे में 15 लोगों की हुई मौत, 16 घायल।
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत में बड़े ही हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है. किन्तु महाराष्ट्र और कर्नाटक में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों के अनुसार इसी दिन रिद्धि सिद्धि के दाता, विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी को पूजा जाता हैं। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। श्री गणेश जी सुख समृद्धि दाता भी है। इनकी कृपा से परिवार पर आने वाले संकट और विध्न दूर हो जाते हैं।
कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब, महासागर इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। गणेशजी को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है ।
7 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। इस दिन देशभर में गणपति स्थापना होगी। इसके लिए दिनभर में 3 मुहूर्त रहेंगे। मूर्ति स्थापना सूर्यास्त के पहले करने का विधान है। गणेश पुराण के मुताबिक गणपति का जन्म चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्र में मध्याह्न काल, यानी दिन के दूसरे पहर में हुआ था। ये शुभ काल सुबह 11.20 बजे से शुरू हो रहा है। गणेश चतुर्थी पर इस बार सुमुख नाम का शुभ योग बन रहा है। ये गणेशजी का एक नाम भी है। इसके साथ पारिजात, बुधादित्य और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि इस संयोग में गणपति स्थापना का शुभ फल और बढ़ जाएगा।
जानिए बप्पा की मूर्ति खरीदने का शुभ मुहूर्त
इस बार गणेश चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति स्थापना के लिए शुभ समय 6 सितंबर 2024, के दिन बताया गया है। अगर आप मूर्ति खरीदने जा रहे हैं तो इस दिन आप शाम के समय जा सकते हैं। मूर्ति खरीदने का शुभ मुहूर्त 6.36 बजे से लेकर 7.45 बजे तक है।
वहीं अगर आप रात में मूर्ति खरीदने जाते हैं तो रात के समय निशिता काल मूहूर्त है रात में मूर्ति खरीदने का शुभ मुहूर्त 11.56 मिनट से लेकर 12.42 मिनट तक है
गणेश चतुर्थी 2024 मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कल यानी 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त, सुबह 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर के 1 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इस प्रकार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 31 मिनट तक रहेगा, इस दौरान भक्तजन गणपति बप्पा की पूजा अर्चना कर सकते हैं.
गणेश चतुर्थी 2024 तिथि आरम्भ हो चुकी है
चतुर्थी तिथि 6 सितंबर यानी आज दोपहर 3.01 बजे से आरम्भ हो चुकी है। यह 7 सितंबर शाम 7.37 बजे तक रहेगा।अगर आप गणेश जी की प्रतिमा आपने घर में स्थापित करने के लिए खरीद रहे हैं, तो इस बात का खास ख्याल रखें कि बप्पा की मूर्ति लेटी हुई या बैठी हुई अवस्था में ही हो। ऐसी मूर्ति की स्थापना करने पर घर में सुख शांति आती है।
गणेश जी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। गणपति की पूजा में सबसे पहले एक साफ और शांत जगह पर आसन बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए . मूर्ति गंगाजल से शुद्ध करनी चाहिए . उसके बाद रोली, चंदन और फूलों से गणेश जी को सजाएं. उनकी सूंड पर सिंदूर लगाएं और दूर्वा चढ़ाएं. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी को मोदक व फल का भोग अर्पित करें. इसके बाद गणेश मंत्रों का उच्चारण करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें मोदक, लड्डू और दूर्वा घास जरूर अर्पित करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी व्रत में क्या खाना चाहिए?
गणेश चतुर्थी व्रत के दिन मीठी चीजें, जैसे साबूदाने की खीर आदि खाना चाहिए. इस दिन एक समय फलाहार करना चाहिए. इस दिन दही और उबले हुए आलू, खीरा का सेवन भी किया जा सकता है. इस दिन साधारण नमक के बजाए व्रत वाले सेंधा नमक का प्रयोग करें. कुट्टू के पराठे या रोटी भी इस दिन खा सकते हैं. चाय या दूध का सेवन भी इस दिन किया जा सकता है. इस दिन व्रत खोलने के लिए सिंघाड़े के आटे से बना हलवा खा सकते हैं. गणेश चतुर्थी का व्रत पूरा होने पर व्रत को गणेश जी के प्रसाद से खोलना बहुत शुभ माना जाता है.
गणेश चतुर्थी पर ये काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए
गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी गणपति की आधी-अधूरी बनी या फिर खंडित मूर्ति की स्थापना या पूजा नहीं करनी चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
गणपति जी की पूजा में भूलकर भी तुलसी दल या केतकी के फूल का प्रयोग ना करें. मान्यता के अनुसार ऐसा करने पर पूजा का फल नहीं मिलता है.
गणेश चतुर्थी के दिनों में तामसिक चीजों का सेवन वर्जित है.
गणेश चतुर्थी के दिनों में गुस्सा करना, विवाद करना या परिवार के सदस्यों के साथ झगड़ना नहीं चाहिए.
गणेश चतुर्थी पर रोजाना इन मंत्रों का जाप करना चाहिए
1. ‘ॐ गं गणपतये नम:’
2. ‘श्री गणेशाय नम:’
3. एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
4. वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।
5. ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा
कथा
शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वार पाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।
शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गज मुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया।
भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्ष पर्यन्त श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
Trending Videos you must watch it