पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान बड़ी घटना घटित हो गयी। समुद्र तटीय तीर्थ नगरी पुरी में वार्षिक भगवान जगन्नाथ जी के रथ खींचे जाने के दौरान अचानक भगदड़ मचने से कई श्रद्धालु घायल हो गए। हादसे में एक श्रद्धालु की हालत नाजुक बताई जा रही है। घायलों को नजदीकी के अस्पताल में भर्ती कराया.
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सूत्रों ने बताया कि रविवार को ओडिशा के समुद्र तटीय तीर्थ शहर पुरी में वार्षिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान अचानक भगदड़ मच गयी जिसमें कई श्रद्धालु घायल हो गए। ‘रथ खींचने’ की रस्म के दौरान एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया।
यह हादसा पुरी के ग्रैंड रोड, बड़ा डांडा पर हुआ, जहां भगवान जगन्नाथ जी भव्य रथ यात्रा निकाली जा रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रथ खींचने के दौरान हुए हादसे में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। यह दुर्घटना तब हुई जब भगवान बलभद्र के रथ को खींचने की रस्म की जा रही थी।
घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया। रथ यात्रा, ओडिशा का एक प्रमुख आयोजन है, जिसमें हजारों भक्त भव्य रथों को देखने और उन्हें खींचने में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं। हजारों लोगों ने पुरी के 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से लगभग 2.5 किमी दूर गुंडिचा मंदिर की ओर विशाल रथों को खींचने की रस्म में भाग लिया।
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने शिष्यों के साथ भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों के दर्शन किए और बाद में शाम करीब 5.20 बजे रथ खींचे जाने की रस्म शुरू हुई और पुरी के राजा ने ‘छेरा पाहनरा’ (रथ साफ करने) की रस्म पूरी की।
इससे पहले दिन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों रथों की परिक्रमा की और देवताओं के सामने माथा टेका। वार्षिक रथयात्रा की शुरुआत को चिह्नित करते हुए, भगवान बलभद्र के लगभग 45 फुट ऊंचे लकड़ी के रथ को खींचे जाने की रस्म के लिए हजारों लोग इकठ्ठा हुए। इस कार्यक्रम के बाद देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथों को खींचा । उत्साही भक्त इस पवित्र अवसर की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे, इसलिए हवा ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरिबोल’ के जयकारों से गूंज उठी।
ऐसा अनुमान है कि इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए लगभग दस लाख श्रद्धालु शामिल हुए थे। कुछ दिव्य व्यवस्थाओं के कारण 53 वर्षों के बाद इस वर्ष रथ यात्रा दो दिवसीय होगी।
जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
सनातन धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का खास महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है.और भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक वहीं विश्राम करते हैं. इस दौरान गुंडिचा माता मंदिर में भव्य तैयारियां की जाती हैं और मंदिर की सफाई इंद्रद्युम्न सरोवर से जल की जाती है इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है. इस यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यही है कि भगवान जगन्नाथ की भव्य शोभा यात्रा पूरे भारत में एक पर्व की तरह धूमधाम से निकाली जाती है. इस रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु भव्य रथों को देखने और उन्हें खींचने के लिए इकठ्ठा होते हैं.
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