हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन एकादशी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली कामिका एकादशी 31 जुलाई यानी आज है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई बुधवार यानी आज रखा जाएगा. कामिका एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. कामिका एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के जीवन की सभी पाप कट जाते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कैसे करते हैं? कामिका एकादशी की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व।
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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना गया है. हर माह में एकादशी व्रत एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है साथ ही तुलसी की भी पूजा की जाती है. तुलसी की पूजा करने से माँ लक्ष्मी जी प्रशन्न होती हैं. साथ ही सभी शुभ फल की प्राप्ति होती है, सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
आज का शुभ मुहूर्त :ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 18 मिनट से 5 बजे तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से 3 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 34 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 5 मिनट तक।
कामिका एकादशी पूजा-विधि
एकादशी का व्रत रखने वालों को इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए. स्नान कर पवित्र जल का घर में छिड़काव करना चाहिए. मंदिर की साफ सफाई करें. भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें. मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें.कामिका एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें.भगवान के 108 नामों का जाप कर सकते हैं.
इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है. इसलिए तुलसी के पास देशी घी का दीपक जलाकर मां तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाकर 1 या 21 बार परिक्रमा करनी चाहिए. साथ ही मंत्रों का जप कर तुलसी माता को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए तुलसी माता से प्रार्थना करनी चाहिए ।इस दिन आप जरूरतमंद लोगों को भोजन व दान दक्षिणा भी देनी चाहिए. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
पूजा के दौरान इन मंत्रों करना चाहिए जाप
1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
2. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
3. जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:
पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।
सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे
सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
4. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
कैसे करने चाहिए कामिका एकादशी व्रत के नियम यहां जानें
एकादशी के दिन क्रोध न करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए। एकादशी के दिन क्रोध न करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए। एकादशी Ekadashi का व्रत-उपवास करने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए। एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति भी चावल सेवन नहीं करें. इस दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए . योगिनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को दान अवश्य करें. एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना जाता है.
एकादशी व्रत में क्या फलाहार करना चाहिए?।
चावल व चावल से बनी किसी भी चीज के खाना पूर्णतया वर्जित होता है। फलाहार भी केवल दो समय ही करें। फलाहार में तुलसी दल का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए। व्रत में पीने वाले पानी में भी तुलसी दल का प्रयोग करना उचित होता है।धार्मिक मान्यता है कि कामिका एकादशी व्रत में खानपान के नियम का पालन करने से व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप एकादशी व्रत कर रहे हैं, तो व्रत के दौरान आलू साबूदाने की सब्जी, शकरकंद, कुट्टू के आटे रोटी, काली मिर्च,चीनी, फल, दही और दूध का सेवन करना चाहिए।
कामिका एकादशी का महत्व
कामिका एकादशी में साफ-सफाई का विशेष महत्व है। व्रती व्यक्ति प्रात: स्नानादि करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करायें। पंचामृत से स्नान कराने से पूर्व प्रतिमा को शुद्ध गंगाजल से स्नान करना चाहिए। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल है। स्नान कराने के बाद भगवान को गंध, अच्छत इंद्र जौ का प्रयोग करे और पुष्प चढ़ायें।धूप, दीप, चंदन आदि सुगंधित पदार्थो से आरती उतारनी चाहिए। नैवेधय का भोग लगाये। इसमें भगवान श्रीधर को मक्खन मिश्री और तुलसी दल अवश्य ही चढ़ाएं और अन्त में श्रमा याचन करते हुए भगवान को नमस्कार करें। विष्णु सहस्त्र नाम पाठ का जाप अवश्य करना चाहिए।
कामिका एकादशी व्रत के पीछे की कथा
एक गांव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्यु हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे। इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पश्र की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
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