मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका ”जिसमें हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी” को खारिज कर दिया. जबकि हिंदू पक्ष की याचिका में वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की गयी थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पाया कि सभी 18 मुकदमे सुनवाई योग्य हैं.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कटरा केशव देव मंदिर के साथ साझा 13.37 एकड़ के परिसर से मस्जिद को हटाने की मांग करने वाले हिंदुओं द्वारा शुरू किए गए 18 मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने 6 जून को फैसला सुरक्षित रखने के करीब दो महीने बाद आज अपना फैसला सुनाया।
अदालत ने कहा कि सभी 18 मुकदमे सुनवाई योग्य हैं, इस प्रकार उनकी योग्यता के आधार पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। पीठ ने कहा कि हिंदू उपासकों और देवता द्वारा दायर मुकदमे अन्य कानूनों के अलावा परिसीमन अधिनियम या पूजा स्थल अधिनियम के तहत निषिद्ध नहीं हैं।
फैसला प्रबंधन ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह (मथुरा) समिति के प्राथमिक तर्क को खारिज करता है कि लंबित मुकदमे पूजा स्थल अधिनियम 1991, सीमा अधिनियम 1963 और विशिष्ट राहत अधिनियम 1963 द्वारा वर्जित हैं। मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाली तसलीमा अजीज अहमदी ने अदालत के समक्ष कहा था कि वक्फ बोर्ड का प्रावधान लागू होगा और यह वक्फ न्यायाधिकरण है, जिसके पास इस मामले की सुनवाई का अधिकार क्षेत्र है।
Trending Videos you must watch it