आज, 11 नवंबर को जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में उन्हें शपथ दिलाई।जस्टिस संजीव खन्ना, जो 18 जनवरी 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे, अब देश के न्यायिक प्रमुख के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी संभालेंगे। उनके द्वारा शपथ लेने के साथ ही उन्होंने देश के न्यायिक तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दिशा में कदम बढ़ा लिया है।
जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें इस पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह सादे और गरिमापूर्ण वातावरण में हुआ।इससे पहले, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 10 नवंबर को 65 वर्ष की आयु में मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ भी मौजूद रहे।
दिल्ली हाई कोर्ट के जज नियुक्त होने से पहले वे तीसरी पीढ़ी के वकील थे. उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.
जस्टिस संजीव खन्ना रहे हैं इन ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा
भारत के नए मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस संजीव खन्ना, न्यायिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उनके योगदान में चुनावी प्रक्रिया से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों का समावेश है, जैसे कि ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की उपयोगिता बनाए रखना और चुनावी बांड योजना को खारिज करना।इसके अलावा, जस्टिस खन्ना उस पीठ का हिस्सा थे जिसने अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को बरकरार रखा, जो कश्मीर के विशेष राज्य दर्जे से संबंधित था।
दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत देने का ऐतिहासिक फैसला भी जस्टिस खन्ना के नेतृत्व वाली बेंच ने सुनाया था।
तीस हजारी कोर्ट से भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश तक का सफर: जस्टिस संजीव खन्ना
भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस संजीव खन्ना, का करियर न केवल उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रतीक है, बल्कि यह न्यायपालिका के प्रति उनके योगदान का भी प्रतीक है। जस्टिस खन्ना का जीवन और करियर भारतीय न्याय व्यवस्था में एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ था। वे दिल्ली के निवासी हैं और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा दिल्ली से ही प्राप्त की। जस्टिस खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत दिल्ली उच्च न्यायालय से की। 1984 में कानून में स्नातक होने के बाद उन्होंने वकालत की शुरुआत की और जल्द ही अपनी कानूनी दक्षता के लिए पहचाने जाने लगे। उन्होंने तीस हजारी कोर्ट, दिल्ली में सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और यहां से उनके करियर को एक नई दिशा मिली।
सुप्रीम कोर्ट तक का सफर: जस्टिस संजीव खन्ना ने 2004 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और अपनी कार्यशैली, तार्किक सोच और कानूनी विशेषज्ञता से जल्द ही पहचान बनाई। बाद में उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
साल 1983 में वो दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में नामांकित हुए। शुरुआत में दिल्ली के तीस हजारी परिसर में जिला न्यायालयों में और बाद में दिल्ली के उच्च न्यायालय और संवैधानिक कानून, प्रत्यक्ष कराधान, मध्यस्थता जैसे विविध क्षेत्रों में न्यायाधिकरणों में प्रैक्टिस की। वाणिज्यिक कानून, कंपनी कानून, भूमि कानून, पर्यावरण कानून और चिकित्सा लापरवाही कानूनों पर उनकी जबर्दस्त पकड़ है।
कब तक सीजेआई के पद पर रहेंगे जस्टिस संजीव खन्ना?
जस्टिस संजीव खन्ना, जिन्होंने 18 जनवरी 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति प्राप्त की, 13 मई 2025 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पद पर रहेंगे।
उनकी न्यायिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ रही हैं। 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, वह वर्तमान में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं।
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