उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा पीसीएस प्री-2024 और आरओ-एआरओ-2023 प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में कराने की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है। छात्र आयोग के इस फैसले के खिलाफ और नार्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर भी विरोध कर रहे हैं। तीसरे दिन भी यूपीपीएससी के चेयरमैन संजय श्रीनेत की ओर से कोई जवाब नहीं आने के बाद अभ्यर्थियों ने प्रयागराज में स्थित यूपीपीएससी ऑफिस के बाहर चेयरमैन के गुमशुदा के पोस्टर लगा दिए हैं. साथ ही अध्यक्ष को खोजकर लाने वाले को इनाम के तौर पर 50 रुपये देने की बात कही गई है.
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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के लिखाफ UP PCS और RO/ARO के अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार तीसरे दिन प्रयागराज में स्थित यूपीपीएससी के ऑफिस के सामने बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का विरोध प्रर्दशन जारी है. आयोग की ओर से अब तक किसी आश्वासन के न मिलने से ‘वन एग्जाम वन शिफ्ट’ लागू करने के साथ नॉर्मलाइजेशन हटाने की मांग कर रहे छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
छात्रों ने आयोग की दीवारों पर “भ्रष्ट सेवा आयोग” और “पेपर लीक आयोग” जैसे नारे लिख दिए हैं. साथ ही यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत के गुमशुदा होने के पोस्टर भी चिपका दिए हैं। इन पोस्टरों में अध्यक्ष को खोजकर लाने वाले को इनाम के तौर पर 50 रुपये देने की बात कही गई है।
दरअसल यूपीपीएससी (UPPSC) ने हाल ही में यूपी पीसीएस (PCS) और समीक्षा अधिकारी (RO)/ सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) भर्ती परीक्षा के लिए नई तारीखों की घोषणा की है। परीक्षा दिसंबर में आयोजित की जाएगी, आयोग ने परीक्षाओं को कई शिफ्ट में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा, आयोग ने जानकारी दी है की नॉर्मलाइजेशन मेथड के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। आयोग के इस फैसले के कारण दिल्ली से लेकर यूपी तक कई अभ्यर्थी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
क्या है नॉर्मलाइजेशन मेथड? जिसका हो रहा विरोध
परीक्षा को अलग-अलग शिफ्ट्स या दिनों में आयोजित किया जाता है, तो नॉर्मलाइजेशन का तरीका अपनाया जाता है ताकि परीक्षा के विभिन्न सेट्स (अलग-अलग प्रश्नपत्रों) के बीच किसी प्रकार का अंतर या असमानता न रहे। नॉर्मलाइजेशन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी एक शिफ्ट में अधिक कठिन या आसान प्रश्नपत्र होने के बावजूद सभी छात्रों को समान अवसर मिले, और उनके प्रदर्शन का सही मूल्यांकन हो सके।
नॉर्मलाइजेशन कैसे काम करता है?
- परसेंटाइल स्कोर: नॉर्मलाइजेशन में परसेंटाइल स्कोर का उपयोग किया जाता है। इसका मतलब है कि प्रत्येक शिफ्ट के लिए छात्रों का स्कोर प्रतिशत के रूप में तय किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी शिफ्ट में एक छात्र ने 90% अंक प्राप्त किए हैं, तो उनका परसेंटाइल स्कोर उसी शिफ्ट में अन्य सभी छात्रों की तुलना में बेहतर होगा।
- औसत स्कोर का निर्धारण: हर शिफ्ट का एक औसत स्कोर (Average Score) निर्धारित किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी शिफ्ट्स के छात्रों को एक समान आधार पर मूल्यांकन किया जाए। यदि एक शिफ्ट के प्रश्नपत्र अधिक कठिन थे, तो छात्रों के स्कोर को सामान्यीकृत किया जाएगा, ताकि वे दूसरे शिफ्ट के छात्रों से उचित रूप से तुलना किए जा सकें।
नॉर्मलाइजेशन का कारण क्या है
हाल ही में परीक्षा केंद्रों से जुड़ी कुछ नए नियमों की घोषणा की गई थी, जिनका उद्देश्य पेपर लीक और अन्य धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकना था। इन नियमों का पालन करते हुए, यूपीपीएससी जैसी बड़ी परीक्षाओं के लिए केंद्रों की संख्या में कमी आ रही है, ऐसे में काफी कम सेंटर ही इन नियमों में फिट बैठ पाए. बताया जा रहा है कि परीक्षा के लिए 1758 केंद्र की जरूरत थी और सिर्फ 900 ही केंद्र मिले. इस वजह से परीक्षा को दो दिन अलग-अलग शिफ्ट करवाया गया
नए नियमों के अनुसार परीक्षा केंद्रों के चयन में कुछ अहम दिशा-निर्देश
केंद्रों की दूरी: परीक्षा केंद्रों को बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से अधिकतम 10 किलोमीटर के दायरे में रखा जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवारों को केंद्र तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो, साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि परीक्षा केंद्रों का चुनाव सार्वजनिक परिवहन से अच्छी तरह जुड़ा हो।
केंद्रों का प्रकार: परीक्षा केंद्र केवल राजकीय इंटर कॉलेज, सरकारी डिग्री कॉलेज, राज्य और केंद्र सरकार के विश्वविद्यालय जैसे सरकारी संस्थानों में ही हो सकते हैं। इसका उद्देश्य परीक्षा केंद्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करना और गुणवत्ता बनाए रखना है, क्योंकि सरकारी संस्थानों में आमतौर पर बेहतर निगरानी, उपकरण और व्यवस्था होती है।
प्राइवेट संस्थान पर प्रतिबंध: प्राइवेट संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, ताकि किसी तरह के धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार या पेपर लीक की घटनाएं न हों। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि केंद्रों में पर्याप्त सुरक्षा और निगरानी की व्यवस्था हो।
अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने जो नॉर्मलाइजेशन को जो फॉर्मला दिया है, वो ही विवाद का कारण है. अगर एक पारी में कम उम्मीदवार बैठे हैं और दूसरी में ज्यादा, तो परसेंटाइल में फर्क आ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी शिफ्ट में सिर्फ 100 उम्मीदवार थे और दूसरे में 500, तो 120 नंबर लाने वाले का परसेंटाइल प्रतिशत अलग हो सकता है
एक अभ्यर्थी ने कहा, ‘जैसे मान लीजिए मेरे 120 नंबर आए हैं, ऐसे में 120 या उससे कम नंबर लाने वाले परीक्षार्थियों की संख्या में उस पारी में बैठने वाले संख्या का भाग दिया जाएगा. इस इस स्थिति में दिक्कत ये है कि एक पारी में कम लोग बैठते हैं और एक में ज्यादा तो परसेंटाइल में काफी अंतर आ जाएगा. इससे ही पेपर के कठिन और आसान का फैसला होगा.