भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में एक ऐसे आंदोलन की आहट महसूस हो रही है, जो जल्द ही एक बड़े और महत्वपूर्ण मुद्दे का रूप ले सकता है। यह मुद्दा उसी दिशा में बढ़ेगा, जिस स्तर पर राम मंदिर निर्माण का मुद्दा पहुंचा था।
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मथुरा में आरएसएस द्वारा आयोजित किए गए दस दिवसीय शिविर के बाद यहां होने वाली धर्म संसद की तैयारियों ने नया मोड़ ले लिया है। कृष्ण की नगरी में एक बड़े धार्मिक आंदोलन की चिंगारी धीरे-धीरे सुलग रही है। अब धर्म संसद इस मुद्दे को उस स्तर तक ले जाने की कोशिश कर रही है, जिस स्तर पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा पहुंचा था। इस आंदोलन का उद्देश्य मथुरा में धार्मिक और सामाजिक एकता को एक नई दिशा देना है.
यही कारण है कि इस मुद्दे पर देश-विदेश के सभी साधु-संतों और विद्वजन से संपर्क किया जा रहा है। आरएसएस के शिविर में इस मुद्दे पर चर्चा के बाद इसकी तैयारियों को और भी गति मिल गई है। अब 27 नवंबर को वृंदावन के केशव धाम में एक अंतरराष्ट्रीय धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। इस धर्म संसद का आयोजन श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद में हिंदू पक्ष की ओर से मुकदमा लड़ रहे श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष, महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट द्वारा किया जा रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद से मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान पर भी भव्य मंदिर बनाने की मांग तेज़ी से उठने लगी है। हालांकि, श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन इस संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दे पर आंदोलन को लेकर अब पूरी तरह से तैयारी हो चुकी है। इस आंदोलन को और तेज़ करने के लिए देश-विदेश के हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के प्रमुख धर्मगुरु, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर, संत भगवताचार्य, समाज चिंतक, इतिहासकार, कानूनविद और पुरातत्वविद अब मथुरा में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय धर्म संसद में भाग लेने के लिए आ रहे हैं।
स्वामी वामदेव के अंदाज में फिर से भरी जा सकती है हुंकार
स्वामी वामदेव के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण के आंदोलन ने जो ऊर्जा और दिशा पाई थी, वह अब फिर से मथुरा और वृंदावन में एक नई सिरे से भरने की कोशिश की जा रही है। स्वामी वामदेव ने 1984 में इस मुद्दे को मजबूती से उठाया था और 1990 में जब कारसेवकों पर गोली चलाई गई, तो उन्होंने आरपार की लड़ाई का एलान करते हुए पूरे देश भर के साधु-संतों की बैठक बुलाई थी। जयपुर में 15 दिनों तक चली इस बैठक में साधु-संतों ने इस आंदोलन को एक नई धार दी थी। अब, वही आंदोलन और हुंकार एक बार फिर से लौटने की तैयारी है, और इस बार भी स्वामी वामदेव का मार्गदर्शन अहम भूमिका निभा सकता है।
नारा दिया गया है…आ गए हैं अवध बिहारी, अब आएंगे कृष्ण मुरारी।
मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर जो आंदोलन उभर रहा है, उसमें अब समूचे उत्तर प्रदेश के साधु-संतों को एकजुट करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। विशेष रूप से, पूर्वांचल के संतों को इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए आह्वान किया जा रहा है। नारा दिया गया है— “आ गए हैं अवध बिहारी, अब आएंगे कृष्ण मुरारी”, जिसका मतलब है कि राम मंदिर के लिए जो संघर्ष अवध क्षेत्र में हुआ, अब वही संघर्ष कृष्ण मुरारी की नगरी मथुरा में होगा, और इस बार समूचे हिंदू समाज को एकजुट होना होगा।
मथुरा में हाल ही में आयोजित आरएसएस का दस दिवसीय शिविर इस समय चर्चा में है, क्योंकि इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबाले ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुद्दे पर खुलकर चर्चा की। इस शिविर में न केवल आरएसएस के आगामी कार्यक्रमों की समीक्षा की गई, बल्कि श्री कृष्ण जन्मभूमि के विवादित मुद्दे को लेकर भी अहम बातें सामने आईं।
दत्तात्रेय होसबाले ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि “हर बार अयोध्या आंदोलन का अंदाज अपनाने की आवश्यकता नहीं होती,” और उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस बार इस आंदोलन को स्थानीय स्तर पर भी शक्ति प्रदान की जानी चाहिए। उनका इशारा सीधे तौर पर कारसेवा की तरफ था, लेकिन उन्होंने यह संदेश भी दिया कि संघ के बजाय स्थानीय लोग इस मुद्दे की अगुवाई करें।
इसके बाद, श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर आधारित धर्म संसद की तैयारियों में एक बड़ा बदलाव आया है। अब इसे न केवल एक स्थानीय पहल के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे एक बड़े स्तर पर आयोजित किया जाएगा, जिसके साथ एक स्पष्ट एजेंडा भी तैयार किया गया है।
ये होंगे शामिल
एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि स्वामी उमेश योगी (यूरोप), स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज ( वॉशिंगटन डीसी-यूएसए), स्वामी स्वतमानंद ( यूएसए), दिलीप (यूएनओ यूएस), स्वामी अंतभोद (लिटवानिया यूरोप), स्वामी शंकरतिलक (स्पेन), गुरु रिकॉर्डम (बार्सिलोना स्पेन), पंडित विवेक दुबे (इटली), विवेक ओझा (चीजेच रिपब्लिक) के संत आ रहे हैं। स्पेन की मुख्य एक्ट्रेस सिल्वा डे लाय रोसा आदि धर्म संसद में पहुंचेंगे।