दिल्ली: सराय काले खां चौक का नाम बदलकर रखा गया बिरसा मुंडा चौक, अमित शाह ने की मूर्ति का अनावरण।

दिल्ली: सराय काले खां चौक का नाम बदलकर रखा गया बिरसा मुंडा चौक

दिल्ली के प्रसिद्ध सराय काले खां चौक का नाम अब बदलकर ‘बिरसा मुंडा चौक’ रख दिया गया है। यह ऐलान जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर किया गया, जो हर साल 15 नवंबर को मनाया जाता है। केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस बदलाव की घोषणा की।

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दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर अब ‘बिरसा मुंडा चौक’ कर दिया गया है। यह ऐलान शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया। दिल्ली के प्रमुख आईएसबीटी (इंटर-स्टेट बस टर्मिनल) के पास स्थित सराय काले खां, जिसे अब बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा।इस ऐतिहासिक बदलाव का ऐलान दिल्ली के बांसेरा उद्यान में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में किया गया, जहां गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।

दिल्ली के बिरसा मुंडा चौक के नामकरण कार्यक्रम में शिरकत करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने आदिवासी समुदाय के योगदान को सम्मानित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की। इस मौके पर गृहमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “जब सरकार जन कल्याण का उद्देश्य लेकर काम करती है, तो उसके परिणाम सामने आते हैं। जैसे दिल्ली में सराय काले खां चौक का विकास किया गया है, वैसे ही यह पार्क (बांसेरा उद्यान) इसका एक और उदाहरण है।”

अमित शाह ने आदिवासी समुदाय के संघर्षों और आंदोलनों की सराहना करते हुए कहा, “झारखंड में सिद्धों कानो का या बिरसा मुंडा का आंदोलन हो, राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, और पूर्वोत्तर के राज्यों में आदिवासियों के नेतृत्व में आंदोलन चले। पूर्वोत्तर में नागा और खासी आदिवासी आंदोलनों का हिस्सा थे। दुर्भाग्य से, इन महान नेताओं और आंदोलनों का नाम समय के साथ भुला दिया गया।

शाह ने यह भी कहा कि, “लेकिन मोदी सरकार ने 2014 के बाद से आदिवासी समुदाय के अधिकारों को सम्मान देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम आदिवासियों से जुड़े तीन संग्रहालयों का निर्माण है, जो 2026 से पहले जनता के लिए खोले जाएंगे। गृहमंत्री ने यह भी कहा, “75 साल में पहली बार किसी आदिवासी को भारत के राष्ट्रपति बनने का मौका मिला है, और यह मोदी सरकार की पहल का ही परिणाम है।

यह नाम बदलने का पहला मामला नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में देशभर में कई स्थानों के नाम बदलने की प्रक्रिया तेज़ हुई है। खासकर उत्तर प्रदेश में, जहां 2022 में हुए निकाय चुनावों से पहले इस प्रक्रिया को और भी गति दी गई। राजधानी लखनऊ के लालबाग तिराहे का नाम बदलकर ‘सुहेलदेव राजभर तिराहा’ कर दिया गया था। इसके अलावा, मोहन भोग चौराहे से लेकर कोठारी बंधु तक सड़क का नाम ‘कल्याणेश्वर हनुमान मंदिर मार्ग’ रखा गया था।

केरल विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ प्रस्ताव

इसके अतिरिक्त, विराम खण्ड राम भवन चौराहे का नाम बदलकर ‘शहीद मेजर कमल कालिया चौराहा’ और बर्लिंगटन चौराहे का नाम बदलकर ‘अशोक सिंघल चौराहा’ कर दिया गया था। नाम बदलने का यह चलन केवल बीजेपी शासित राज्यों तक ही सीमित नहीं है। हाल ही में केरल में भी इस प्रकार की एक बड़ी पहल देखी गई थी। जून 2024 में, केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि राज्य का नाम आधिकारिक रूप से ‘केरलम’ किया जाए। यह प्रस्ताव राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नया रूप देने और पहचान दिलाने के उद्देश्य से लाया गया था।

केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव किया, ‘केरलम’ करने की मांग

केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने हाल ही में विधानसभा में एक अहम बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके राज्य का मलयालम में नाम “केरलम” है। 1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर राज्य पुनर्गठन किया गया था, और उसी दिन केरल का गठन हुआ था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केरल का जन्मदिन भी 1 नवंबर को है। विजयन ने आगे बताया कि, “मलयालम भाषी समुदायों के लिए एक संयुक्त केरल बनाने की आवश्यकता राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही उभरी थी, और इस विचार को स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही बल मिला था।

हालांकि, हमारे राज्य का नाम संविधान की पहली अनुसूची में ‘केरल’ के रूप में दर्ज किया गया है।”उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें केंद्र से अनुरोध किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत राज्य का नाम ‘केरल’ से बदलकर ‘केरलम’ किया जाए।

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