रंगभरी एकादशी का पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, जो भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है। इस वर्ष यह व्रत फाल्गुन महीने की 10 मार्च, 2025 यानी आज मनाई जा रही है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि यह दिन उनके आशीर्वाद के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन को लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है कि तुलसी चालीसा का पाठ भी अनिवार्य रूप से किया जाए, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आमलकी एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है। यह पर्व महाशिवरात्रि के बाद आने वाली एकादशी को मनाया जाता है, जिसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है। रंगभरी एकादशी का उत्सव विशेष रूप से वाराणसी में धूमधाम से आयोजित किया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ (शिव) और माता पार्वती के गौना संस्कार की परंपरा निभाई जाती है, जो इस पर्व की खास पहचान है। भक्तगण इस अवसर पर श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जो इस वर्ष 10 मार्च, सोमवार को यानि आज है. इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करेंगे और व्रत रखकर उनकी कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना करेंगे। रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, रंगभरी एकादशी का संबंध होली महोत्सव से भी है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ होली खेली थी। इसलिए इसे होली से पहले भक्तिपूर्वक मनाया जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:59 बजे से 5:48 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:08 बजे से 12:55 बजे तक
आमलकी एकादशी पूजा विधि
आमलकी एकादशी पर व्रति विशेष पूजा विधि का पालन करते हैं। पूजा की शुरुआत प्रातः काल में उठकर स्नान करने से करें। इसके बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कें और शुद्धता का ध्यान रखें। फिर एक वेदी पर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और शिव-पार्वती की प्रतिमाओं की स्थापना करें।
इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान का पंचामृत व गंगाजल से अभिषेक करें। उन्हें फूलों की माला अर्पित करें और चंदन का तिलक लगाएं। पूजा में तुलसी पत्र का समावेश भी जरूरी है।
पंचामृत, फल, केसर की खीर और घर में बना प्रसाद भगवान को अर्पित करें। इसके बाद एकादशी कथा का पाठ करें और श्री हरि के मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में आरती से पूजा को पूर्ण करें और सभी परिवारजनों में प्रसाद वितरित करें।
ध्यान रहे कि इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
आमलकी एकादशी पारण मुहूर्त
आमलकी एकादशी का पारण 11 मार्च को सुबह 06:35 बजे से लेकर 08:13 बजे तक किया जाएगा। इस समय के बीच पारण मुहूर्त का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, पारण से पहले कुछ दान-पुण्य करना भी जरूरी है, ताकि आपको अक्षय पुण्य फल मिल सकें। इस दिन को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है।
रंगभरी एकादशी कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद काशी लौटे, तो उनके गणों ने उनका गुलाल और अबीर से भव्य स्वागत किया। इस खास मौके पर शिव और पार्वती ने भी अपने भक्तों के साथ होली खेली। तब से यह परंपरा हर साल बाबा विश्वनाथ की शोभा यात्रा के रूप में काशी में धूमधाम से मनाई जाती है।