देश जो चाहता है…वह जरूर होगा, पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर राजनाथ सिंह का बड़ा बयान

पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर राजनाथ सिंह का बड़ा बयान.

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि रक्षा मंत्री के तौर पर मेरी पहली जिम्मेदारी भारत की सुरक्षा और सशस्त्र बलों के साथ मिलकर देश की रक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि जो भी भारत पर बुरी नजर डालेगा, उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

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यह टिप्पणी उन्होंने ‘संस्कृति जागरण महोत्सव’ को संबोधित करते हुए दी। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की भी प्रशंसा की और कहा कि आप हमारे प्रधानमंत्री को भली-भांति जानते हैं, उनका दृढ़ संकल्प और जोखिम उठाने की क्षमता अद्वितीय है।

राजनाथ सिंह ने ‘राजनीति’ शब्द पर भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह ‘राज’ और ‘नीति’ से बना है, लेकिन दुर्भाग्यवश अब यह शब्द अपने वास्तविक अर्थ से भटक गया है। उन्होंने कहा, “मुझे संतों और जनमानस का आशीर्वाद चाहिए ताकि राजनीति को उसकी मूल मर्यादा में पुनः स्थापित किया जा सके।”

भारत की सुरक्षा: सैनिकों और संतों की दोहरी भूमिका

रक्षा मंत्री ने भावुक शब्दों में कहा कि एक ओर हमारे वीर सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा रणभूमि में करते हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे संत और मनीषी भारत की आध्यात्मिक सीमाओं की रक्षा जीवनभूमि में करते हैं। दोनों ही राष्ट्र की आत्मा की रक्षा के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

विकसित भारत 2047: पीएम मोदी का विज़न

राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी के लक्ष्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाया जाए। यह कोई छोटा लक्ष्य नहीं है, लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में यह निश्चित रूप से संभव है। उन्होंने देशवासियों से स्वास्थ्य और विश्वास बनाए रखने की अपील की।

भारत-जापान रक्षा सहयोग पर अहम बैठक

रक्षा मंत्री सोमवार को दिल्ली में जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। इस बैठक में दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा हालात, साथ ही द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और सशक्त करने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण माहौल के बीच हो रही है और इसका रणनीतिक महत्व काफी अधिक है। भारत और जापान के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता को लेकर साझा दृष्टिकोण है, जो इस सहयोग को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

छह महीने में दूसरी मुलाकात

यह बैठक दोनों नेताओं की छह महीने में दूसरी मुलाकात होगी। इससे पहले नवंबर 2024 में लाओस में हुई आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान इनकी पहली बातचीत हुई थी। उस समय रक्षा उद्योग, तकनीकी सहयोग और सेना के आपसी समन्वय पर विचार किया गया था।

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