वृंदावन: ठाकुर बांकेबिहारी ने स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को दिए दर्शन, लाखों श्रद्धालु हुए भावविभोर

Vrindavan: ठाकुर बांकेबिहारी ने स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को दिए दर्शन

हरियाली तीज के पावन अवसर पर वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर श्रद्धा और भक्ति के रंगों में सराबोर हो गया। इस शुभ अवसर पर ठाकुर जी सोने और चांदी से बने झूले में विराजमान होकर लाखों श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं. भगवान को हरे रंग की जड़ाऊ पोशाक और रत्नजड़ित आभूषण पहनाए गए। ठाकुर जी की मनमोहक छवि को देखकर श्रद्धालु भवि भोर हो गए.मंदिर परिसर को फूलों, बंदनवारों और हरे रंग के वस्त्रों से सजाया गया। सुबह 7:45 बजे से दर्शन शुरू हुए जो रात 11 बजे तक जारी रहे। भीड़ को देखते हुए दर्शन का समय आम दिनों से 4 घंटे अधिक किया गया।श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने 3 किमी पहले ही वाहनों की एंट्री रोक दी और ई-रिक्शा व ई-कार्ट की व्यवस्था की, हालांकि कई भक्तों को पैदल ही मंदिर पहुंचना पड़ा। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 800 से अधिक पुलिसकर्मी और 78 बैरियर लगाए गए। मंदिर क्षेत्र को 4 जोन और 18 सेक्टरों में बांटा गया।सेवायतों ने ठाकुर जी को मावा, मलाई, घेवर, फैनी जैसे तीज विशेष भोग अर्पित किए गए।

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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज के अवसर पर लाखों श्रद्धालु भक्ति में डूबे नजर आए। ठाकुर जी को इस खास दिन पर 10 किलो सोने और 1000 किलो चांदी से बने भव्य हिंडोले में विराजमान किया गया। भगवान ने हरे रेशमी वस्त्र, रत्नजड़ित आभूषण और मोतियों से कढ़ी पोशाक धारण की, जिसे देख श्रद्धालु अभिभूत हो उठे।

सुबह 7:45 बजे जैसे ही मंदिर के पट खुले, दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें उमड़ पड़ीं। दर्शन का समय विशेष रूप से 4 घंटे बढ़ाया गया और मंदिर कुल 12 घंटे 15 मिनट तक खुला रहा।

सेवायतों ने भगवान को मावा गुजिया, मलाई घेवर, फैनी और अन्य तीज विशेष व्यंजन अर्पित किए। दिनभर मंदिर परिसर में भजनों की गूंज रही। कई महिला श्रद्धालुओं ने भगवान को भजन गाकर रिझाया।

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने शहर को 4 जोन और 18 सेक्टरों में बांटा। 800 से अधिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई और 78 बैरियर लगाए गए। वाहनों की एंट्री मंदिर से 3 किमी पहले रोक दी गई और ई-रिक्शा व ई-कार्ट की सीमित व्यवस्था की गई, जिससे श्रद्धालुओं को पैदल मंदिर तक जाना पड़ा।

रात्रि विश्राम के लिए ठाकुर जी को इत्र-सुगंधित पुष्पों की सेज पर विराजमान किया गया। यह शैय्या केवल विशिष्ट पर्वों पर ही सजाई जाती है। इसके पास चांदी का आइना और सुहाग पिटारी जैसे श्रृंगार की वस्तुएं रखी गईं।

हरियाली तीज पर भगवान बांके बिहारी जी गर्भगृह से निकलकर आंगन में विराजते हैं। यह परंपरा 15 अगस्त 1947 से चली आ रही है। इतिहासकारों के अनुसार, पहले झूला पेड़ों की टहनियों से सजाया जाता था, लेकिन समय के साथ यह दिव्य झूला सोने-चांदी से निर्मित हुआ, जो अब ब्रज ही नहीं, पूरे विश्व में अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।

श्रद्धालु इस अलौकिक दर्शन को “जीवन का अनुपम क्षण” मानते हैं और ठाकुर जी की इस झांकी को देखने को सौभाग्य मानते हैं।

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