हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि कान्हा का जन्म भादो माह की कृष्ण अष्टमी को, रोहिणी नक्षत्र में, मध्यरात्रि के समय हुआ था। इसी पावन क्षण की स्मृति में भक्त हर वर्ष इस पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर श्रद्धालु उपवास करते हैं. कृष्ण के बाल स्वरूप का विशेष श्रृंगार किया जाता है और उन्हें मक्खन, मिश्री, फल और दूध जैसी प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। मंदिरों में झांकियां सजती हैं, भजन-कीर्तन होते हैं और रात 12 बजे विशेष पूजा के साथ श्रीकृष्ण के जन्म का उल्लास मनाया जाता है।
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हालांकि इस वर्ष जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग इसे 15 अगस्त को मना रहे हैं, तो कुछ 16 या 17 अगस्त को। यह असमंजस तिथि और नक्षत्र के संयोग के कारण हुआ है। दरअसल, श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था, और पंचांग के अनुसार ये दोनों योग अलग-अलग दिन पड़ रहे हैं।इस बार मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी.
जन्माष्टमी की तिथि
कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि इस साल 15 अगस्त को 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 16 अगस्त को रात 9 बजकर 34 मिनट पर होगा. यह पर्व पहले 15 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. उदिया तिथि के चलते श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग 16 अगस्त 2025 की रात्रि को 09:24 के बाद पारण कर सकेंगे.
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात (16-17 की दरमियानी रात) 12.04 बजे से रात 12.45 तक रहेगा. इस दौरान कान्हा की पूजा करने के लिए आपको करीब 43 मिनट का समय मिलेगा.
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर भक्त उन्हें प्रिय भोग अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण को दूध और उससे बनी चीजें विशेष रूप से प्रिय थीं। यहां हम बता रहे हैं पांच ऐसे भोग, जो आप इस शुभ अवसर पर कान्हा को अर्पित कर सकते हैं:
माखन-मिश्री
श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय भोग माखन मिश्री। बाल लीलाओं में वे अपने सखाओं के साथ माखन चुराते नजर आते हैं। इसलिए जन्माष्टमी पर शुद्ध माखन में मिश्री मिलाकर उन्हें भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मोहन भोग
‘मोहन’ नाम से प्रसिद्ध श्रीकृष्ण को मोहन भोग विशेष प्रिय है। इसे गेहूं के आटे को गाय के घी में भूनकर, पंचमेवा और मिश्री चूर्ण के साथ तैयार किया जाता है। यह भोग न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि भक्ति भाव से भरपूर होता है।
श्रीखंड
दही से बनने वाला श्रीखंड श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय है। इसे केसर, इलायची और मेवे के साथ मीठा बनाकर भोग लगाया जाता है। यह भोग नंदलाल की पसंदीदा चीजों में से एक माना जाता है।
पंजीरी
धनिए से बनी पंजीरी का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी पर इसे भोग स्वरूप अर्पित करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। साथ ही यह प्रसाद स्वास्थ्यवर्धक भी होता है।
मालपुआ
शास्त्रों के अनुसार राधा रानी के हाथों से बने मालपुए श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय थे। इसीलिए जन्माष्टमी पर मालपुए का भोग लगाना पुण्यदायी और प्रेमपूर्ण परंपरा मानी जाती है।