श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन गोकुल में पारंपरिक नंदोत्सव धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही श्रद्धालु गोकुल पहुचने लगे और हर तरफ नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की की गूंज सुनाई दी।।नंद भवन से ठाकुरजी का डोला नगर भ्रमण के लिए निकला। डोले के साथ चलते नंद-यशोदा, श्रीकृष्ण और बलराम के स्वरूपों ने मानो द्वापर युग को जीवंत कर दिया। रास्ते भर शहनाई की मधुर धुन और भजनों पर झूमते भक्तों ने समां बांध दिया। रास चबूतरे पर पहुंचने पर ठाकुरजी को पालने में झुलाया गया और परंपरागत दधिकांधा (छीछी) को श्रद्धालुओं पर फेंका गया, जिसे प्रसाद मानकर भक्तों ने उत्साह से ग्रहण किया। इस दौरान उपहार लुटाए गए, जिसे लूटने के लिए भक्तों में उत्साह और आनंद की झलक दिखी। नंद बाबा की ओर से लाला के जन्म की खुशी में मेवे, कपड़े और मिठाइयां बांटी गईं। पूरे गोकुल में ‘जय कन्हैया लाल की’ के नारों की गूंज रही और श्रद्धालु भगवान के बालस्वरूप के दर्शन कर भाव-विभोर हो गए।
गोकुल में जन्माष्टमी के दूसरे दिन परंपरागत नंदोत्सव श्रद्धा, उल्लास और भक्ति से सराबोर होकर धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ गोकुल में उमड़ पड़ी। पूरे नगर में ‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ के जयघोष गूंजने लगे। वातावरण ऐसा भक्तिमय हुआ कि गोकुल एक बार फिर द्वापर युग की अनुभूति कराने लगा।
सुबह 11 बजे मंदिर के सेवायत पुजारी मथुरा दास ने ठाकुरजी की भव्य आरती उतारी। इसके बाद परंपरानुसार ठाकुरजी का डोला नगर भ्रमण पर निकला। शोभायात्रा में श्रीकृष्ण, बलराम, नंद बाबा, यशोदा मैया और ग्वाल-बाल के स्वरूप शामिल थे। डोले के साथ चल रही शहनाई की मधुर धुन और भजनों पर झूमते श्रद्धालुओं ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।
रास चबूतरे तक पहुंचते ही नंदोत्सव का मुख्य दृश्य सामने आया। ठाकुरजी को झूला झुलाया गया और फिर दधिकांधा (हल्दी, दही, चंदन और माखन का मिश्रण) से बनी लाला की छीछी श्रद्धालुओं पर फेंकी गई। भक्तों ने इसे प्रसाद मानकर बड़े उत्साह से अपने ऊपर डलवाया।
इसके साथ ही परंपरागत ढंग से नंद बाबा की ओर से उपहार भी लुटाए गए मेवा, वस्त्र, फल और मिष्ठान्न। जो भी ये उपहार पा गया, उसने इसे भगवान का आशीर्वाद समझा। श्रद्धालु इस आयोजन में पूरी श्रद्धा से झूमते, नाचते-गाते और लूटते नजर आए।
डोला रतन चौक, गोकुलनाथ मंदिर, राजा ठाकुर मंदिर और दाई वाला कुआं होते हुए नंद चौक पहुंचा, जहां मुख्य आयोजन हुआ। पुष्पवर्षा के साथ ठाकुरजी का स्वागत किया गया। मंदिर के पुजारी छनिया पंडित ने भगवान को पालने में झुलाया और अंत में आरती कर डोला वापस मंदिर ले जाया गया।
इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन में गोकुल नगर पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित, मंदिर रिसीवर केके अरोड़ा, प्रबंधक गिरधारी लाल भाटिया, अतुल तिवारी, और कई पुजारी, सेवायत व श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरे आयोजन में गोकुल भक्ति और उल्लास में रंगा नजर आया।
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