यमुना नदी में बाढ़ जैसे हालात के बीच मथुरा के जिलाधिकारी ने मानवीय संवेदना और सादगी से ओत-प्रोत व्यवहार का परिचय देते हुए श्रद्धालुओं से जलभराव वाले क्षेत्रों में न जाने की अपील की। कालिदह मार्ग पर डीएम स्वयं मौके पर पहुंचे और हाथ जोड़कर लोगों को सावधानी बरतने का अनुरोध किया। उनका यह संवेदनशील और सहज रवैया अब सोशल मीडिया पर सराहना का विषय बना हुआ है।
यमुना नदी के जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि के कारण जब सड़कें जलमग्न हो गईं, तब जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी खुद निरीक्षण के लिए मौके पर पहुँचे। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा, “कृपया जलभराव वाले क्षेत्रों में प्रवेश न करें। यमुना नदी खतरे के निशान के करीब है। प्रशासन आपकी सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। आप सहयोग करें ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।”
उनका यह मानवीय और सादगीपूर्ण व्यवहार आम जनता को विशेष रूप से प्रभावित कर रहा है। आमतौर पर प्रशासनिक कार्यवाही को आदेशात्मक दृष्टिकोण से जोड़ा जाता है, परंतु मथुरा में एक संवेदनशील और जिम्मेदार प्रशासक का उदाहरण सामने आया है।
कालिदह मार्ग पर अस्थायी रूप से रह रहे कुछ लोगों से भी जिलाधिकारी ने संवाद करते हुए उन्हें आश्रय स्थलों पर जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था की गई है और लोग कुछ दिन वहीं ठहरें। उनकी बातचीत में न कोई कठोरता थी और न ही औपचारिक आदेश का भाव, बल्कि एक जिम्मेदार अभिभावक जैसी चिंता झलक रही थी।
स्थानीय श्रद्धालुओं और नागरिकों ने जिलाधिकारी के इस मानवीय दृष्टिकोण की प्रशंसा की है। लोगों का कहना है कि ऐसे व्यवहार से न केवल प्रशासन पर विश्वास बढ़ता है, बल्कि यह जनता और सरकार के बीच की दूरी भी कम करता है।