राधारानी की नगरी बरसाना पहुंचे प्रेमानंद महाराज, भक्ति में सराबोर हुआ पूरा धाम, दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

राधारानी की नगरी बरसाना पहुंचे प्रेमानंद महाराज

बरसाना, राधाष्टमी महोत्सव से पूर्व शुक्रवार को पूरा बरसाना भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंग गया। वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज सैकड़ों अनुयायियों के साथ राधारानी के पावन धाम बरसाना पहुंचे। उनके आगमन से ही कस्बे की गलियों में ‘राधे-राधे’ की गूंज गूंजने लगी और वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया।संत प्रेमानंद महाराज ने अपने अनुयायियों के साथ सबसे पहले गहवर वन की परिक्रमा की। परिक्रमा मार्ग पर भक्तों ने संकीर्तन और भजन गाए. परंपरा के अनुसार ब्रजवासियों ने संत मंडली को मधुकरी अर्पित की.कोई फल-सब्जी, कोई अन्न, जल या प्रसाद लेकर सेवा में उपस्थित हुआ। संत ने इसे स्नेहपूर्वक स्वीकार किया।गहवर वन की परिक्रमा के बाद प्रेमानंद महाराज श्रीजी मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने ठाकुरानी श्री राधारानी के दर्शन कर दण्डवत प्रणाम किया और समाधि भाव में राधा नाम का जप किया। मंदिर सेवायतों ने उन्हें पुष्पमाला और दुपट्टा अर्पित कर सम्मानित किया।संत के अचानक आगमन की सूचना मिलते ही बरसाना में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

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राधाष्टमी महोत्सव से पूर्व बरसाना भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंग गया। वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद महाराज शुक्रवार को सैकड़ों अनुयायियों संग राधारानी की नगरी बरसाना पहुंचे। उनके आगमन से कस्बे की गलियों में “राधे-राधे” की गूंज और भक्ति का उत्सव शुरू हो गया।

संत प्रेमानंद महाराज ने सबसे पहले गहवरवन की परिक्रमा की। इस दौरान भक्तगण संकीर्तन और कीर्तन में लीन रहे। ‘राधे-राधे’ की निरंतर ध्वनि से वातावरण ऐसा प्रतीत हुआ मानो द्वापर युग की लीलाएं पुनः जीवंत हो उठी हों।

परिक्रमा मार्ग में ब्रजवासियों ने परंपरा अनुसार मधुकरी अर्पित की। कोई फल-सब्जी लाया, कोई जल, अन्न और मिष्ठान्न। संत प्रेमानंद और उनकी मंडली ने इस स्नेह को सहर्ष स्वीकार किया।

परिक्रमा के पश्चात श्री प्रेमानंद महाराज श्रीजी महल पहुंचे, जहाँ उन्होंने ठाकुरानी श्रीराधारानी के दर्शन कर दण्डवत प्रणाम किया और समाधि भाव में राधा नाम का जप किया। सेवायतों ने उन्हें पुष्पमाला और दुपट्टा अर्पित कर सम्मानित किया।

संत के आगमन की सूचना मिलते ही बरसाना में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। दूर-दराज से आए भक्तों ने भी इस दिव्य क्षण के दर्शन किए। मंदिर परिसर “राधारानी की जय” और “लाडली जू की जय” के जयकारों से गूंज उठा।

श्रद्धालुओं का कहना था कि राधाष्टमी से पहले संत प्रेमानंद के साथ गहवरवन की परिक्रमा करना और उनके मुख से राधा नाम सुनना उनके लिए किसी दिव्य वरदान से कम नहीं है. भीड़ को देखते हुए बरसाना पुलिस प्रशासन सतर्क रहा और परिक्रमा मार्ग व श्रीजी महल में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की गई।

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