नवरात्रि : इस वर्ष 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है, जो 9 दिन चलता है और आश्विन मास में मनाया जाता है. इस महत्वपूर्ण अवसर पर लोग नौ देवियों की पूजा-आराधना करते हैं, जिन्हें मां दुर्गा के नौ स्वरूप के रूप में जाना जाता है. नवरात्रि का अंत दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जिसका तिथि 24 अक्टूबर है. कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन को की जाती है और इसका महत्व विशेष है, क्योंकि मान्यता है कि कलश स्थापना से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसे शुभ मुहूर्त में करना अधिक अच्छा माना जाता है, और इसके लिए विशेष नियम और विधियां होती हैं।
इस समय भूल कर भी ना करें कलश स्थापना
पंडित विनोद शास्त्री जी, नवरात्रि के पहले दिन विष्कुम्भ योग बन रहा है, विष्कुम्भ योग एक ऐसा योग है जिसे अशुभ माना जाता है, और इसका मतलब है कि इस समय किसी भी शुभ कार्य की सलाह नहीं दी जाती है। इस मुहूर्त में ना करें कलश स्थापना
राहुकाल – 04 PM से 05:52 PM तक
यमघंटक – 12:07 PM से 1:33 PM तक
दुर्मुहूर्त – 04:20 PM से 05:06 PM तक
कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त ?
नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही शुभ होते हैं, और पूजा-पाठ करने से शुभ फल मिलता है। अगर आप अपने घर में दुर्गा पूजा के दौरान कलश स्थापित करने और नौ दिन के व्रत करने का आयोजन कर रहे हैं, तो शुभ मुहूर्त का पालन करना महत्वपूर्ण है। ज्योतिष और वास्तुविद्या विशेषज्ञ पंडित विनोद शास्त्री जी बताते हैं कि इस वर्ष कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा समय 15 अक्टूबर को सुबह 11:38 से दोपहर 12:30 बजे तक है। इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है, जो पूजा पाठ के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
क्या है कलश स्थापना के नियम ?
पंडित विनोद शास्त्री जी के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 15 अक्टूबर से हो रहा है, जिसमें माता भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा की जती है।
- नवरात्रि के शुभारंभ पर कलश स्थापना का विधान है, जिसका मतलब है कि शुभ मुहूर्त में सावधानी से आसानी से एक कलश स्थापित किया जा सकता है। माना जाता है कि इस रूप में स्थापित किया गया कलश सुख, संपन्नता और आरोग्य लेकर आता है, और इसके लिए कलश को मिट्टी, सोना, चांदी, या तांबे से बना होना चाहिए। इसे लोहे या स्टील से नहीं बनाना चाहिए।
- नवरात्रि के पहले दिन, कलश की स्थापना को घर की पूर्व या उत्तर दिशा में करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए कलश स्थापना करने वाली जगह को गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए और फिर वहां हल्दी से चौक पूरते हुए अष्टदल बनाना चाहिए।
- कलश में शुद्ध जल लेकर हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान, और पुष्प डालने के बाद, कलश के बाहर रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए। इसके बाद, कलश को पवित्र की गई जगह पर स्थापित करते हुए मां का आह्वान करें।
कलश स्थापना क्यो है जरूरी ?
नवरात्रि पर कलश स्थापना किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके बिना नवरात्रि का आरंभ अधूरा होता है। कलश स्थापना का महत्व है क्योंकि मां दुर्गा की आराधना के लिए इसे आवश्यक माना जाता है। इसे घटस्थापना भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि गलत मुहूर्त पर इसे स्थापित करने से मां दुर्गा क्रोधित हो सकती हैं। रात के समय और अमावस्या के दिन कलश स्थापना करना नहीं चाहिए। कलश स्थापना से पूजा सफल मानी जाती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
मा भगवती के नौ ( नवरात्रि ) स्वरूपों की महत्वपूर्ण तिथियां व निरूपण
- 15 अक्टूबर 2023 – प्रतिपदा तिथि, पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, घटस्थापना
- 16 अक्टूबर 2023 – द्वितीया तिथि, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
- 17 अक्टूबर 2023 – तृतीया तिथि, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा जाती है
- 18 अक्टूबर 2023 – चतुर्थी तिथि यानी चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है
- 19 अक्टूबर 2023 – पंचमी तिथि, पांचवें दिन होगी मां स्कंदमाता की पूजा
- 20 अक्टूबर 2023 – षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी की पूजा की जाती है
- 21 अक्टूबर 2023 – सातवें दिन, सप्तमी तिथि पर होगी मां कालरात्रि की पूजा
- 22 अक्टूबर 2023 – आठवां दिन, दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की की पूजा की जाती है
- 23 अक्टूबर 2023 – महानवमी यानी नौवें दिन शरद नवरात्रि, व्रत पारण, कन्या पूजन, महागौरी पूजन किया जाता है
- 24 अक्टूबर 2023 – दशमी तिथि पर विजयादशमी (दशहरा).