लोकसभा ने बुधवार को तीन आपराधिक कानून विधेयक पारित किए, जिनका उद्देश्य देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन करना है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी. पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी, तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी. अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी.
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लोकसभा में 3 नए आपराधिक विधेयक पारित हो चुके हैं। आपराधिक संशोधन विधेयकों पर हुई चर्चा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के दौरान, विपक्ष के कुल 97 सांसद अनुपस्थित रहे। इन्हें निलंबित कर दिया गया है। इन नए आपराधिक विधेयकों को अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। लोकसभा में 3 नए आपराधिक विधेयकों पर उत्तर देते हुए, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, अंग्रेजों के समय के राजद्रोह कानून को समाप्त किया गया है। नए आपराधिक विधेयकों के तहत, नाबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग जैसे अपराधों में फांसी की सजा होगी। इन नए आपराधिक विधेयकों को लोकसभा में पारित होते ही सदन की कार्यवाही को गुरुवार सुबह 11 बजे तक तक स्थगित कर दी गई।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया है कि वे तीन अपराधिक कानूनों के संबंध में उपस्थित विधेयकों के माध्यम से गुलामी की मानसिकता को नष्ट करने और स्थानीय कानूनों से मुक्ति प्रदान करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति प्रतिबद्ध हैं। शाह ने सदन में हुई चर्चा के दौरान भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर चर्चा करते हुए यह भी कहा है कि इन कानूनों को ‘व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव अधिकार, और सभी के साथ समान व्यवहार’ के तीन सिद्धांतों पर आधारित किया गया है।
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पीएम मोदी के विजन का हिस्सा हैं तीनों बिल
अमित शाह ने बताया, ये सभी तीन कानून प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण का एक हिस्सा हैं। जनता ने इस मांग की थी कि हमें सिर्फ सजा नहीं, बल्कि न्याय भी चाहिए। मोदी जी के नेतृत्व में, आज हम इसे प्राप्त कर रहे हैं। जब हम ‘न्याय’ की बात करते हैं, तो इसमें बड़ी स्तर पर ध्यान दिया जा रहा है। इसमें, पीड़ित और आरोपी दोनों को समाहित किया जाता है।
पुलिस की जवाबदेही होगी तय
अमित शाह ने बताया – नए विधियों के अनुसार, अब पुलिस को भी अधिक जिम्मेदारी मिलेगी। पहले, जब किसी को गिरफ्तार किया जाता था, उसके परिवार के सदस्यों को इसकी जानकारी नहीं मिलती थी। अब, जब कोई गिरफ्तार होगा, तो पुलिस उसके परिवार को सूचित करेगी। किसी भी मामले में, 90 दिनों के भीतर क्या हुआ इसकी जानकारी, पुलिस पीड़ित व्यक्ति को प्रदान करेगी
फॉरेंसिक जांच पर जोर
उन्होंने बताया कि कई विभिन्न सुझाव दिए गए हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रस्ताव में कई नई पहलुओं को अंजाम देने का प्रयास किया गया है। जांच के लिए हमने और भी मजबूती से वैज्ञानिक तथा तकनीकी जाँच की उपयोगिता को बढ़ावा दिया है। आज तक देश में तीन प्रमुख न्यायिक प्रणालियाँ हैं, लेकिन इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद, एक नई विशेष न्यायिक प्रणाली की स्थापना होगी।
अमित शाह ने बताया, प्रधानमंत्री मोदी जी ने गुलामी की मानसिकता को उन्मूलन करने की दिशा में क्रियाशीलता दिखाई है..प्रधानमंत्री ने लाल किले के समर्थन में कहा था कि औवनिवेशिक कानून से मुक्ति होनी चाहिए, और उसी के परिप्रेक्ष्य में गृह मंत्रालय ने कानूनों में परिवर्तन करने के लिए कार्रवाई शुरू की है