आज, 2 फरवरी 2025 को देशभर में वसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्यौहार आता है। इस दिन को मां सरस्वती के प्रकट दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती का अवतार हुआ था, इसलिए वसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से माता शारदा की पूजा अर्चना की जाती है। इस अवसर पर देशभर के मंदिरों, घरों और शिक्षा संस्थानों में मां सरस्वती की भव्य पूजा का आयोजन किया जा रहा है।
बसंत पंचमी, जिसे वसंत पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, आज यानी 2 फरवरी को धूमधाम से मनाई जा रही है। बसंत पंचमी का दिन बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक होता है और यह विशेष रूप से माता सरस्वती को समर्पित होता है। माता सरस्वती को ज्ञान, विद्या, कला और संगीत की देवी माना जाता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व विशेष रूप से महत्व रखता है, क्योंकि 144 वर्षों बाद इस दिन महाकुंभ का चौथा शाही स्नान होने जा रहा है। इसके चलते इस दिन माता सरस्वती का आशीर्वाद भी विशेष रूप से प्राप्त होने की मान्यता है।
वसंत पंचमी की पूजा विधि
वसंत पंचमी के दिन पूजा की शुरुआत सबसे पहले स्नान से करें। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि पीला रंग इस दिन का प्रतीक होता है। फिर एक चौकी पर पीला साफ वस्त्र बिछाकर माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें। माता को पीले रंग के फूल, वस्त्र, रोली, केसर, हल्दी, चंदन और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद देवी को मिठाई का भोग अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। सरस्वती माता के मंत्रों का जाप करें और फिर हाथों में दीपक लेकर देवी की आरती करें। अंत में प्रसाद वितरित कर सभी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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सरस्वती पूजा की सामग्री
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। इनमें मां शारदा की तस्वीर, गणेश जी की मूर्ति, चौकी और पीला वस्त्र शामिल हैं। इसके अलावा, पूजा के लिए पीले रंग की साड़ी, माला, गुलाल, रोली, कलश, सुपारी, पान का पत्ता, अगरबत्ती, आम के पत्ते, धूप और गाय का घी रखना चाहिए। इसके साथ ही, कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता, रक्षा सूत्र, भोग के लिए मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू, चंदन, अक्षत, दूर्वा और गंगाजल भी आवश्यक होते हैं। इन सभी सामग्री के साथ पूजा संपन्न कर मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करें।
वसंत पंचमी 2025 शुभ योग
इस वर्ष 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी के दिन खास शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, साथ ही शिव और सिद्ध योग का भी संयोग है। सूर्य इस दिन मकर राशि में रहेगा। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 तक रहेगा, जो पूजा और शुभ कार्यों के लिए अत्यधिक शुभ समय माना जाता है। अमृतकाल भी इस दिन रात 8:24 से 9:53 बजे तक रहेगा, जो विशेष रूप से मांगलिक कार्यों के लिए बहुत लाभकारी रहेगा।
सरस्वती पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त की शुरुआत सुबह 7:09 बजे से शुरू होगी, जो दोपहर 12:35 बजे पर समापन होगा। इस समय में पूजा करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है और विशेष आशीर्वाद मिलता है।
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वसंत पंचमी का महत्व और पूजा विधि
हिंदू धर्म में सरस्वती माता को संगीत, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति की बुद्धि, वाणी, और मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है। यह मान्यता है कि यदि श्रद्धा भाव से सरस्वती माता की उपासना की जाए, तो करियर और जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। वसंत पंचमी का दिन इस संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़ककर सरस्वती माता का अवतार किया था, और इस दिन उनकी पूजा से वह प्रसन्न होती हैं, जिससे साधक की सभी समस्याओं का निवारण होता है।