Aaj Ka Panchang 2024: श्रावण मास का शुभारंभ, पहला सावन सोमवार, सर्वार्थ सिद्धि योग में इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक; पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

श्रावण मास का शुभारंभ, पहला सावन सोमवार

22 जुलाई 2024 से यानी आज दिन सोमवार से श्रावण मास का शुरू हो रहा है. श्रावण मास को शिव जी का प्रियतम मास माना जाता है. मास की शुरुआत में ही पहला सावन सोमवार व्रत पड़ रहा है. मान्यता है कि इस महीने माता पार्वती ने कडी तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में पाया था. इस पवित्र महीने का समापन 19 अगस्त को होगा. सावन में 72 साल बाद दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. इस बार सावन माह की शुरुआत और समापन दोनों ही सोमवार के दिन होंगे. अगर आप चाहते हैं की भोलेनाथ की कृपा दृष्टि आप पर बनी रहे. सावन के सोमवार में भगवान शिव की पूजा कुछ चीजों के साथ करनी चाहिए.आइए जानते हैं पहले सोमवार का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र भोग और उपाय.

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सावन के पावन दिनों में शिव भक्ति में रहें लीन रहते हैं मान्यता है कि सावन में जो लोग शिवलिंग की पूजा विधि विधान के साथ अथवा भगवान शिव का अभिषेक करते हैं उनके जीवन से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं.सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है.जिन लोगों की कुंडली में शनि की महादशा चल रही है वो हर सावन सोमवार पर भगवान शिव की पूजा कैसे करें आइए जानते पूजा विधि और इसका उपाय.

कहते हैं कि सावन के सोमवार व्रत रखना बहुत शुभ और फलदायी होता है. अविवाहित कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए के लिए इस व्रत को करती हैं. सावन के सोमवार का व्रत करने से पारिवार में खुशहाली और सुख समृद्धि आती है. और संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले घर और विशेष रूप से पूजा कक्ष को साफ करना चाहिए। अपने घर के मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित करनी चहिए. इसके बाद शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। – दूध, दही, शहद और गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराएं और इसके बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें. – शिवलिंग का अभिषेक हमेशा तांबे के लोटे से ही करना चाहिए. पूजा के बाद शिव चालीसा और श्रावण मास कथा का पाठ करना चाहिए।

पूजा सामग्री

सोमवार के व्रत में भगवान शिव को अक्षत बेलपत्र, शमी के पत्ते, भांग, धतूरा, आक के फूल, बिल्व पत्र, चंदन का लेप, सफेद फूल, कमल, शक्कर, मौसमी फल, शहद, दीप, गंध, नैवेद्य, चीनी, अगरबत्ती, कपूर, घी का दीपक, गंगाजल, गाय का दूध, धूप, प्रसाद के लिए मिठाई, आचमन के लिए जल का पात्र. कुश का आसन, खस, हवन सामग्री, माता पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री,शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

सोमवार के व्रत में मदार का पुष्प चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव का भांग-धतूरा बहुत प्रिय है. . वैसे तो मदार दो रंगों खिलता है जिसमें एक नीला और दूसरा सफेद होता है

पूजा का शुभ मुहूर्त.

महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त
अमृत (सर्वोत्तम)- सुबह 5 बजकर 37 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 20 मिनट तक
शुभ (उत्तम)- सुबह 9 बजकर 2 मिनट से लेकर सुबह 10 10 बजकर 45 मिनट तक
शाम का मुहूर्त- शाम 5 बजकर 35 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 35 मिनट तक

72 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग

सावन में 72 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है इस बार सावन माह की शुरुआत सोमवार से और समापन भी सोमवार के दिन ही हो रहा है. ऐसा दुर्लभ योग 72 वर्ष पहले 27 जुलाई जुलाई 1953 को बना था. साथ ही, इस बार सावन में 6 शुभ योग बनने जा रहे हैं. इस साल श्रावण मास में शुक्रादित्‍य योग, बुधादित्‍य योग, नवपंचम योग और गजकेसरी योग के अलावा, कुबेर योग और शश योग का भी निर्माण हो रहा है.

सावन महीने का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही, उस व्यक्ति को जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। मान्यता है कि सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।

सावन के महीने की महिमा

सावन का महीना हिंदुओं के पवित्र चातुर्मास में से एक माना जाता है सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था, और भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था. हलाहल विष पान के बाद उग्र विष को शांत करने के लिए भक्त इस महीने में शिवजी को जल अर्पित करते हैं

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