आज से चैत्र नवरात्रि यानी 9 अप्रैल से शुरू हो गई है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अमृत योग और सर्वार्थ सिद्धि रहेगा। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है।
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आज यानी 9 अप्रैल से नवरात्रि शुरू हो गई है, एक वर्ष में कुल चार नवरात्रि आती है, पहला चैत्र नवरात्रि, दूसरा शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है। चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ होने के साथ ही नया हिंदू वर्ष भी आरंभ होता है।
कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त ?
नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही शुभ होते हैं, और पूजा-पाठ करने से शुभ फल मिलता है। अगर आप अपने घर में दुर्गा पूजा के दौरान कलश स्थापित करने और नौ दिन के व्रत करने का आयोजन कर रहे हैं, तो शुभ मुहूर्त का पालन करना महत्वपूर्ण है। ज्योतिष और वास्तुविद्या विशेषज्ञ पंडित विनोद शास्त्री जी बताते हैं कि इस वर्ष कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा समय पंचांग की गणना के मुताबिक शुभ चौघड़िया 09 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस शुभ मुहू्र्त में कलश स्थापना कर सकते हैं। 09 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है।
ब्रह्रा मुहूर्त- सुबह 04:31 से 05: 17 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:42 से शाम 07: 05 तक
अमृत काल: रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक
निशिता काल: रात्रि 12:00 से 12: 45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
क्या है कलश स्थापना के नियम ?
पंडित विनोद शास्त्री जी के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ आज यानी 9 अप्रैल से हो रहा है, जिसमें माता भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा की जती है।
1- नवरात्रि के शुभारंभ पर कलश स्थापना का विधान है, जिसका मतलब है कि शुभ मुहूर्त में सावधानी से आसानी से एक कलश स्थापित किया जा सकता है। माना जाता है कि इस रूप में स्थापित किया गया कलश सुख, संपन्नता और आरोग्य लेकर आता है, और इसके लिए कलश को मिट्टी, सोना, चांदी, या तांबे से बना होना चाहिए। इसे लोहे या स्टील से नहीं बनाना चाहिए।
2- नवरात्रि के पहले दिन, कलश की स्थापना को घर की पूर्व या उत्तर दिशा में करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए कलश स्थापना करने वाली जगह को गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए और फिर वहां हल्दी से चौक पूरते हुए अष्टदल बनाना चाहिए।
3- कलश में शुद्ध जल लेकर हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान, और पुष्प डालने के बाद, कलश के बाहर रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए। इसके बाद, कलश को पवित्र की गई जगह पर स्थापित करते हुए मां का आह्वान करें।
मा भगवती के नौ ( नवरात्रि ) स्वरूपों की महत्वपूर्ण तिथियां व निरूपण
- 09 अप्रैल 2024 – प्रतिपदा तिथि, पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, घटस्थापना
- 10 अप्रैल 2024 – द्वितीया तिथि, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
- 11 अप्रैल 2024 – तृतीया तिथि, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा जाती है
- 12 अप्रैल 2024– चतुर्थी तिथि यानी चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है
- 13 अप्रैल 2024 – पंचमी तिथि, पांचवें दिन होगी मां स्कंदमाता की पूजा
- 14 अप्रैल 2024 – षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी की पूजा की जाती है
- 15 अप्रैल 2024 – सातवें दिन, सप्तमी तिथि पर होगी मां कालरात्रि की पूजा
- 16 अप्रैल 2024 – आठवां दिन, दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की की पूजा की जाती है
- 17 अप्रैल 2024 – महानवमी यानी नौवें दिन शरद नवरात्रि, व्रत पारण, कन्या पूजन, महागौरी पूजन किया जाता है
- 18 अप्रैल 2024 – दशमी तिथि पर विजयादशमी (दशहरा).
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