नवरात्रि 2025 दिन 8 की शुभकामनाएं: नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। अष्टमी तिथि विशेष रूप से मां महागौरी पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी महागौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और वे हमेशा उनके साथ विराजमान रहती हैं।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन विशेष रूप से मां महागौरी की पूजा की जाती है, जिसे ‘दुर्गाष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है। मां महागौरी को शांति और ज्ञान की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनकी पूजा से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और वे सुख, समृद्धि तथा ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस दिन विशेष पूजा करने के इच्छुक साधक यहां से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन 5 अप्रैल 2025, शनिवार यानी आज है । इस दिन विशेष रूप से मां महागौरी की पूजा का महत्व है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि हिंदू धर्म में खास मानी जाती है, जब लोग हवन और कन्या पूजन करते हैं। मां महागौरी के रूप की बात करें तो उनका रंग अत्यंत गौरवर्ण होता है और उनके चार भुजाएं होती हैं। वे बैल की सवारी करती हैं और उनका स्वभाव शांत है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी की पूजा से पापों से मुक्ति मिलती है और भक्तों को संकटों से रक्षा प्राप्त होती है। जानें, मां महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व, मंत्र और भोग के बारे में।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां महागौरी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनका रूप अत्यंत गौरवर्ण होता है। इन्हें ‘श्वेतांबरधरा’ भी कहा जाता है। उनकी छवि शांत, कोमल और तेजस्वी मानी जाती है। मां महागौरी के चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरे में अभय मुद्रा और चौथे में वरमुद्रा होती है। मान्यता है कि वे अपने भक्तों को अन्नपूर्णा का आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि 2025: मां महागौरी की कथा (Maa Mahagauri ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें महान गौरव और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। हालांकि, इस तपस्या के दौरान उनका रंग काला पड़ गया। शिवजी अपनी पत्नी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार करते हैं और उन्हें गंगा स्नान करने के लिए कहते हैं। गंगा स्नान के बाद, देवी का रूप विद्युत के समान चमकदार हो गया और उनका रंग गौर वर्ण में बदल गया, जिससे उन्हें ‘गौरी’ कहा जाता है।
माँ महागौरी का मंत्र
मूल मंत्र:
श्वेते वृषेसमारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
देवी स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी पूजा विधि (Chaitra Navratri 2025 Day 8 Puja Vidhi)
अष्टमी के दिन विशेष पूजा विधि का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद, उन्हें सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें और सफेद पुष्प, रोली, कुमकुम तथा अक्षत चढ़ाएं। मां को मिष्ठान, पंच मेवा और फल का भोग अर्पित करें।
इसके साथ ही, मां महागौरी के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें। अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन, नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा करें और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराएं। अंत में, कन्याओं को उपहार और दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
माता महागौरी को कौन-सा भोग लगाएं (Chaitra Navratri 2025 Day 8)
मां महागौरी को नारियल, पूड़ी, चना, हलवे का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है.
माँ महागौरी की आरती: Maa Mahagauri Puja Aarti
जय महागौरी जगत की माया,
जय उमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा,
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अंबे,
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।
भीमा देवी विमला माता,
कौशिकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा,
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया,
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया,
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया,
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता,
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो,
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।
॥ माँ महागौरी की आरती सम्पूर्ण ॥
मा भगवती के नौ ( नवरात्रि ) स्वरूपों की महत्वपूर्ण तिथियां व निरूपण

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