धनतेरस का त्यौहार दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इसे सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस बार धनतेरस का पावन त्यौहार 29 अक्टूबर यानी कल मनाया जाएगा. धनतेरस के दिन भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का घर पर आगमन होता है और पूजा पाठ से प्रसन्न होकर वो स्थायी रूप से रूक जाती हैं।
धनतेरस सबसे हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे भारत में बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. धनतेरस के दिन भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है की भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. इस दिन सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, भूमि आदि की खरीदारी करते हैं। इस साल कार्तिक त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्तूबर, मंगलवार को सुबह 10:32 मिनट पर होगी और इसका समापन 30 अक्तूबर को दोपहर 01:15 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 29 अक्तूबर 2024 को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।
कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से ही होती है। धनतेरस के दिन नए बर्तन, सोना चांदी के आभूषण खरीदना भी शुभ माना जाता है.
इस दिन लोग अपने घर के बाहर दीये और मोमबत्तियां जलाते हैं. धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. धनतेरस पर सोना-चांदी,आभूषण और बर्तन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है.
धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वंतरी और माता लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा का विधान है. साथ ही, इस दिन 13 दीया जलाने का भी रिवाज है.
इस दिन विशेष रूप से दीवाली की खरीददारी की जाती है। इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। हर साल धनतेरस दिवाली दो दिन पहले मनाया जाता है.
पूजा सामग्री
माता लक्ष्मी और कुबेर की नई मूर्ति या तस्वीर, नए वस्त्र, कमलगट्टा, कमल और लाल गुलाब, फूलों की माला, साबुत धनिया, दूर्वा, कुश, पंच मेवा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, लकड़ी की चौकी, अक्षत्, हल्दी, रोली, सिंदूर, दही, दूध, फल, शहद, गंगाजल, शक्कर, शुद्ध घी, सुपारी, पान का पत्ता, पंच पल्लव, नैवेद्य, मिठाई, गुलाल, कपूर, रुई की बत्ती, दीपक, धूप, गंध, यज्ञोपवीत, कुमकुम, इलायची, लौंग, चांदी या सोने का सिक्का, नारियल, बहीखाता, रक्षासूत्र, इत्र, कुश का आसन आदि।
धनतेरस पर खरीददारी का शुभ मुहूर्त
पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि वैसे तो धनतेरस को पूरे दिन में किसी भी समय खरीदारी करना शुभ और फलदायक है। लेकिन अभिजीत मुहूर्त ( 11:36 से 12:26) में अथवा दिन में 1:41 बजे से 8:15 बजे तक के समय में किसी सामग्रियों की खरीद करना अधिक शुभकारी होगा।
पहला मुहूर्तः 29 अक्टूबर को सुबह 6.31 बजे से 10.31 बजे तक
दूसरा मुहूर्तः सुबह 11.42 बजे से 12.27 बजे तक
गोधूलि मुहूर्तः शाम 5.38 बजे से शाम 06.04 बजे तक
धनतेरस पर क्या खरीदें
हिन्दू पंचांग के अनुसार धनतेरस पर हमें भगवान श्रीगणेशजी, लक्ष्मी जी, कुबेर देवता तथा धनवंतरी देव का विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए। इस दिन खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है।ऐसा माना जाता है कि इस दिन मुहूर्त पर खरीदारी करने से वही विशेष वस्तु 13 गुण बढ़कर सारे वर्ष हमें प्राप्त होती है। स्वर्ण-चांदी के आभूषण व उत्तम धातु के बर्तन खरीदने का विशेष रूप से महत्व है।
जानिए कैसे की जाती है कुबेर की पूजा?
108 बार “ॐ कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें। धन प्राप्ति के लिए भगवान कुबेर से प्रार्थना करते समय हल्दी, धनिया, कमल गट्टे, दूर्वा आदि को कपड़े और सूखी लकड़ी में रखना चाहिए। अंत में नारियल या कुबेर देव की धूप, दीप और पुष्प से पूजा करनी चाहिए और भगवान को भोग भी अर्पित करना चाहिए।
धनतेरस पूजा विधि
- धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर जी की प्रतिमा को विराजमान करें।
- इसके बाद दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाकर आरती उतारें।
- कुबेर जी के मंत्र ॐ ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जप करें और धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें।
धनतेरस पर करें ये उपाय
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें।
धनतेरस पर घर और बाहर 13 दीपक जलाने से बीमारियां दूर होती हैं।
धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
इस दिन सूर्यास्त से पहले दान करने से धन की कमी नहीं होगी।
इस दिन सफेद कपड़ा, चावल, चीनी आदि का दान भूलकर ना भी करें।
धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चाँदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास सन्तोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है।
Trending Videos you must watch it