म्यांमार में शुक्रवार को एक शक्तिशाली भूकंप ने पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया को हिलाकर रख दिया। भूकंप के कारण म्यांमार में अब तक 144 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 732 लोग घायल हैं। म्यांमार का मांडले शहर इस भूकंप के केंद्र के नजदीक था, जहां भारी तबाही मच गई। भूकंप ने कई इमारतों को गिरा दिया, सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और पूरा क्षेत्र संकट में आ गया है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चलाए जा रहे हैं।
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अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई और यह 10 किलोमीटर की गहराई पर आया था। भूकंप का केंद्र मांडले शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर था, जो म्यांमार की प्राचीन शाही राजधानी और बौद्ध संस्कृति का प्रमुख केंद्र है। भूकंप के बाद, शहर में एक और शक्तिशाली झटका महसूस हुआ, जिसके कारण कई मध्यम झटके भी आए।
मांडले के एक निवासी ने कहा, “जब सब कुछ हिलने लगा, हम सभी घर से बाहर भागे। मैंने अपनी आंखों के सामने एक पांच मंजिला इमारत गिरते हुए देखा।” सरकारी मीडिया ने बताया कि भूकंप से पांच शहरों और कस्बों में इमारतें ढह गईं। यंगून-मांडले एक्सप्रेसवे पर रेलवे पुल और सड़क का पुल भी गिर गया। तस्वीरों में इरावदी नदी पर बना अवा ब्रिज भी नष्ट होते हुए दिखाई दे रहा है।
दूसरे स्थानों पर नुकसान: मांडले के एक और निवासी ने बताया कि पूरी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, फोन लाइनें बाधित हो गईं और बिजली की सप्लाई ठप हो गई। म्यांमार नाउ द्वारा साझा की गई तस्वीरों में एक घंटाघर और मांडले पैलेस की दीवार का एक हिस्सा भी गिरा हुआ नजर आ रहा है। शान राज्य के औंग बान में एक होटल मलबे में तब्दील हो गया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 20 लोग फंसे हुए हैं।
थाईलैंड में भी असर: भूकंप का असर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी महसूस किया गया। यहां एक निर्माणाधीन इमारत ढह गई, जिससे 81 लोग मलबे में फंसे हुए हैं। थाईलैंड के रक्षा मंत्री ने बताया कि बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए काम कर रहे हैं। बैंकॉक के एक होटल से लोग घबराहट में बाहर निकल आए, और थाईलैंड के स्टॉक एक्सचेंज ने सभी व्यापारिक गतिविधियों को निलंबित कर दिया।
चीन और अन्य प्रभावित क्षेत्र: चीन के युन्नान प्रांत में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, लेकिन वहां किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं आई है।
कठिन स्थिति में म्यांमार: यह भूकंप म्यांमार के लिए बेहद कठिन समय में आया है, जब देश सशस्त्र विद्रोह, प्राकृतिक आपदाओं और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में म्यांमार को टाइफून यागी और चक्रवात मोचा जैसी आपदाओं का भी सामना करना पड़ा है.