कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों पर आयोग ने कड़ा जवाब दिया है। आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर राहुल गांधी अपने आरोपों को लेकर गंभीर हैं और उन पर विश्वास रखते हैं, तो उन्हें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। आयोग का कहना है कि अगर राहुल गांधी ऐसा नहीं करते, तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि उन्हें खुद अपने आरोपों और विश्लेषण पर भरोसा नहीं है। ऐसी स्थिति में, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
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चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी के सामने दो ही रास्ते हैं या तो अपने दावों को प्रमाणित करते हुए शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर चुनाव आयोग पर बिना ठोस आधार के लगाए गए आरोपों के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगें।
इससे पहले भी राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया था, जिस पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें प्रमाणों के साथ शपथ पत्र देने के लिए कहा था। इसी तरह, महाराष्ट्र में भी 2024 के विधानसभा चुनावों को लेकर राहुल गांधी ने धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिस पर वहां के चुनाव आयोग ने उनसे दस्तावेज़ी साक्ष्य की मांग की थी।
गौरतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने दावा किया था कि भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरा कार्यकाल मिला। उन्होंने कहा था कि मोदी सिर्फ 25 सीटों के अंतर से प्रधानमंत्री बने और चुनाव आयोग ने भाजपा को चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने में मदद की। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आयोग कर्नाटक में महादेवपुर सीट से जुड़े आंकड़े साझा नहीं कर रहा। उनका कहना था कि अगर इसी तरह अन्य सीटों की जांच की जाए, तो चुनावी प्रक्रिया की सच्चाई सामने आ जाएगी।