अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार दीवाली मनाई जाएगी. दीपावली के शुभ अवसर पर रामनगरी को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. अयोध्या में होने वाला पहला दीपोत्सव कई मायनों में ख़ास होगा. रामनगरी का कोना-कोना दीपावली पर भव्य दिखाई देगा. इस वर्ष सरयू तट पर जहां 25 से 28 लाख दीपक प्रज्वलित कर विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना है,वहीं श्रीराम मंदिर में विशेष प्रकार के दीपक जलाए जाएंगे। मंदिर भवन को दाग-धब्बों और कालिख से सुरक्षित रखने के लिए विशिष्ट दीपकों की व्यवस्था की है, जो लंबे समय तक प्रकाशमान रहेंगे।
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इस वर्ष अयोध्या में भव्य आठवें दीपोत्सव की मेजबानी की तैयारी है, जिसमें नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में पहली दिवाली मनाने की तैयारी चल रही है। मंदिर विशेष रूप से दाग और कालिख से बचने, इसकी संरचना को संरक्षित करने और लंबे समय तक रोशन रहने के लिए डिज़ाइन किए गए विशिष्ट दीपकों से जगमगाएगा।
भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद होने वाला पहला दीपोत्सव कई मायनों में ख़ास होगा. अयोध्या नगरी तो लाखों दीपों से रोशन होगी ही साथ ही श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर की दीपावली भी यादगार होगी. इसके लिए तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. उत्सव का लक्ष्य सरयू नदी के किनारे 25 से 28 लाख दीपक जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाना भी है। इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
राम मंदिर पर विशेष फूलों की सजावट की जाएगी. मंदिर परिसर को सजावट के लिए विभिन्न खंडों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक खंड को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। प्रकाश व्यवस्था, प्रवेश द्वार की सजावट और पूरी तरह से सफाई की समग्र निगरानी बिहार कैडर के सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी आशु शुक्ला को सौंपी गई है। भक्तों को एक दिव्य दृश्य का अनुभव होगा क्योंकि मंदिर को फूलों और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
खास बात ये है कि 50 क्विंटल फूलों से राममंदिर की सजावट हो रही है.त्रेतायुग जैसी अयोध्या की कल्पना रामनगरी में आकार लेती दिख रही है.अयोध्या उसी तरह से खुश है, जब लंका विजय कर 14 वर्ष बाद भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे.500 साल बाद भव्य महल में रामलला के विराजने के उल्लास में पूरी अयोध्या आज से तीन दिनों से जगमग रहेगी.
पर्यावरण संरक्षण भी इस दीपोत्सव का मुख्य फोकस है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने और मंदिर को कालिख से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष मोम लैंप का उपयोग किया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट का लक्ष्य इस दिवाली पर अयोध्या को सिर्फ धर्म और आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण चेतना का प्रतीक भी बनाना है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि दीपोत्सव की भव्यता एक स्थायी छाप छोड़े, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने 29 अक्टूबर से 1 नवंबर तक आधी रात तक मंदिर को दर्शन के लिए खुला रखने का फैसला किया है।
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