भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम को लेकर विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक अहम प्रेस वार्ता की। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार ने साफ किया है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाएगा, किसी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका नहीं होगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की यह नीति लंबे समय से रही है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
यह भी पढ़ें: CBSE Result 2025 Declared: CBSE ने जारी किए 10वीं और 12वीं के रिजल्ट, शिक्षा मंत्री ने दी बधाई
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मध्यस्थता को लेकर दिए गए बयानों को खारिज करते हुए कहा कि 10 मई को संघर्ष विराम पर हुई डीजीएमओ स्तर की वार्ता भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे संपर्क के जरिए हुई थी, और इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।
रणधीर जायसवाल ने बताया कि सात मई को शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की ओर से जारी गोलीबारी का भारतीय सेना ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान ने गोलाबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई के चलते पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमलों के बाद भारत ने सीमापार आतंकी ढांचे को निशाना बनाते हुए कार्रवाई की थी। इसके बाद पाकिस्तानी बलों द्वारा हुई फायरिंग का भारतीय सेना ने सशक्त जवाब दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि 10 मई को दोपहर 3:35 बजे दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) के बीच फोन पर वार्ता हुई। इस वार्ता की जानकारी पाकिस्तान की ओर से भारत को उसी दिन दोपहर 12:37 बजे उच्चायोग के जरिये दी गई थी। हालांकि, पाकिस्तान की आंतरिक तकनीकी समस्याओं के कारण हॉटलाइन कनेक्शन में देरी हुई।
रणधीर जायसवाल ने जोर देकर कहा, जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता से ही सुलझाया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम के दौरान भारत और अमेरिका के बीच जो चर्चाएं हुईं, उनमें व्यापार से संबंधित कोई मुद्दा नहीं उठा।