ब्रज की होली: 5200 साल पुरानी परंपरा, जानिए कैसे निभाई जाती है यह परंपरा

ब्रज की होली: 5200 साल पुरानी परंपरा, जानिए कैसे निभाई जाती है यह परंपरा

ब्रज क्षेत्र की होली, जो 45 दिनों तक धूमधाम से मनाई जाती है, अपनी अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से एक खास परंपरा फालैन गांव में होलिका दहन के समय देखने को मिलती है, जहां पंडा आग के तेज अंगारों के बीच से दौड़ते हुए निकलता है। यह दृश्य न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि अद्भुत भी है, क्योंकि पंडा आग में 1 प्रतिशत भी नहीं जलता।यह परंपरा एक खास परिवार, संजू और उनके वंशजों द्वारा 5200 वर्षों से निभाई जा रही है।

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संजू और उनका परिवार 45 दिनों से व्रत और अनुष्ठान कर रहे हैं, जिससे इस परंपरा की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।हर साल, इस परंपरा को देखने के लिए 50 हजार से ज्यादा पर्यटक फालैन गांव पहुंचते हैं। इस अवसर पर गांव को शादी के उत्सव की तरह सजाया जाता है और 12 गांवों की सामूहिक होलिका के बीच से पंडा इस अद्भुत परंपरा को निभाता है। यह आयोजन न केवल स्थानीय संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण बन चुका है।

गांव फालैन, जिसे ‘प्रह्लादनगरी’ के नाम से जाना जाता है, में होली मेले की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यहां की खास परंपरा भक्त प्रह्लाद की लीला को साकार करने के लिए अग्नि की जलती लपटों से निकलने की है। इस बार संजू पंडा इस परंपरा को निभाने के लिए तैयार हैं, जो होलिका के दहकते अंगारों के बीच से गुजरकर आस्था की ‘अग्नि परीक्षा’ देंगे।

एक माह की कठिन तपस्या के बाद, संजू पंडा 14 मार्च को तड़के करीब 4 बजे होलिका दहन के दिन मंदिर की ज्योति पर हाथ रखकर शुभ संकेत का इंतजार करेंगे। जैसे ही दीपक की लौ से शीतलता का आभास होगा, उनके इशारे पर होलिका में अग्नि प्रवेश कराई जाएगी।

इसके बाद वे प्रह्लाद कुंड में स्नान करके होलिका के अंगारों से गुजरेंगे। इस दौरान गांव भक्त प्रह्लाद के जयघोषों से गूंज उठेगा। संजू पंडा पहली बार इस रस्म को निभाने जा रहे हैं।

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