भारतीय रेलवे मथुरा जंक्शन : करीब 70 दिनों तक जारी रहेगा यार्ड रीमॉडलिंग का काम, जिससे इस रूट पर चलने वाली लगभग 297 ट्रेनें रहेंगी प्रभावित।
मथुरा जंक्शन पर यार्ड रीमॉडलिंग का काम करीब 70 दिनों तक चलेगा, जिसकी वजह से ट्रेनों के संचालन पर भी असर पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि इस काम से करीब 297 ट्रेनों पर असर पड़ेगा, जिससे यात्रीयों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। इस यार्ड रीमॉडलिंग का काम 27 नवंबर से 6 फरवरी तक चलेगा, और इसके दौरान 297 ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा। इसमें 234 ट्रेनें अलग-अलग तिथियों में रद्द की जाएगी, और 59 ट्रेनों का मार्ग बदला जाएगा। चार ट्रेनों का संचालन आंशिक रूप से निरस्त किया जाएगा। यह काम 16 नवंबर को शुरू होने वाला था, लेकिन दीपावली के त्यौहार के कारण तिथि 27 नवंबर में बदल दी गई है।
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रीमॉडलिंग के दौरान मथुरा जंक्शन से गुजरने वाली 234 ट्रेनें अलग-अलग तारीख में रद्द की गई हैं, जिनमें दैनिक और सप्ताह में दो तीन दिन चलने वाली ट्रेन भी शामिल हैं। कई ट्रेनें पूरी तरह से इस अवधि में रद्द रहेंगी, और वही 59 ट्रेनों का रूट बदला दिया गया है, जिन्हें अब मथुरा के रूट से अलग रेल मार्ग से गुजराया जाएगा। चार ट्रेनों का संचालन आंशिक रूप से निरस्त किया गया है। इस अवधि में कुल 297 ट्रेनें प्रभावित होंगी, लेकिन कुछ ट्रेनें इसी कालावधि में सामान्य रूप से चलती रहेगीं, जैसा कि रेलवे अधिकारी बता रहे हैं। मथुरा जंक्शन पर सोमवार से यार्ड रीमॉडलिंग का काम शुरू हो रहा है और इसके दौरान दो नए प्लेटफॉर्म बनाए जा रहे हैं, जो माल गोदाम रोड गोपाल नगर की ओर होंगे। इससे मथुरा जंक्शन पर कुल 10 प्लेटफार्म्स होंगे, जो मेडिकल या यातायात के लिए यात्रीगण को और अधिक सुविधा प्रदान करेंगे। तीन प्लेटफॉर्म्स का विस्तार भी किया जा रहा है, जिसमें शामिल है प्लेटफॉर्म संख्या 6।
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देश का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन मथुरा
मथुरा जंक्शन भारत का सबसे बड़ा जंक्शन है, जहां से सात ट्रैक निकलते हैं। रेलवे प्रबंधन ने अब यार्ड रीमॉडलिंग के दौरान इन सभी ट्रैकों को एक साथ जोड़ने की तैयारी की है। इसमें मुख्य रूप से पूर्वोत्तर रेलवे का भाग शामिल होगा, और कासगंज-मथुरा रेल मार्ग को आगरा-दिल्ली ट्रैक से जोड़ने के लिए एक और लाइन बढ़ाई गई है। अब इन लाइनों पर ओएचई का काम किया जाएगा। मथुरा जंक्शन से विभिन्न शहरों के लिए सात ट्रैकों का संचालन होता है, जिसके लिए पांच स्थानों से सिग्नल सिस्टम का संचालन किया जाता है। यहां यार्ड रीमॉडलिंग के दौरान सभी स्थानों पर संचालित सिग्नल सिस्टम को एक स्थान पर स्थापित किया जाएगा, जिससे ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ेगा।