Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और व्रत कथा यहाँ जानें, इस दिन तुलसी की पूजा करने से होगी माँ लक्ष्मी जी कृपा।

योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और व्रत कथा यहाँ जानें

योगिनी एकादशी व्रत करने वाले हर व्यक्ति को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं अनुसार इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है और सुखों की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कैसे करते हैं? आषाढ़ी एकादशी यानी योगिनी एकादशी की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व।

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सनातन धर्म एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना गया है. हर माह में एकादशी व्रत एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है साथ ही तुलसी की भी पूजा की जाती है. तुलसी की पूजा करने से माँ लक्ष्मी जी प्रशन्न होती हैं. साथ ही सभी शुभ फल की प्राप्ति होती है, सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जुलाई के महीने में योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी पड़ेगी.

योगिनी एकादशी पूजा विधि एवं व्रत कैसे करना चाहिए ?

योगिनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। स्नान कर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए, क्योंकि प्रभु को पीला रंग प्रिय है। मंदिर की सफाई करें और गंगाजल से छिड़काव कर शुद्ध करने के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.

इसके बाद तुलसी के पास देशी घी का  दीपक जलाकर मां तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाकर 1 या 21 बार परिक्रमा  करनी चाहिए. सच्चे मन से तुलसी माता की आरती और तुलसी चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही मंत्रों का जप कर तुलसी माता को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए तुलसी माता से प्रार्थना करनी चाहिए. ।इस दिन आप जरूरतमंद लोगों को भोजन व दान दक्षिणा भी देनी चाहिए. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.

योगिनी एकादशी पर लोग व्रत रख विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. भगवान विष्णु की कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.योगिनी एकादशी पर 4 शुभ योग का बन रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सच्चे मन से यह एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है

मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न

साल में 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं जिनका व्रत करने से सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं. कुछ लोग आज के दिन निर्जला व्रत भी करते हैं , जो बेहद कठिन होता है. इस दिन को लेकर मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी जी भी उस पर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखती हैं. ऐसे में आषाढ़ माह में आने वाली योगिनी एकादशी का महत्व अधिक बढ़ जाता है.

योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मण को भोजन कराने का फल मिलता है

आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी भी कहा जाता है. इस बार 2 जुलाई यानी आज के दिन ये व्रत रखा जाएगा. मान्यता है कि योगिनी एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने पर व्यक्ति के जीवन से सभी पाप कट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर का फल की प्राप्ति होती है.

योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी पूजन का सबसे उत्तम समय- एकादशी तिथि 01 जुलाई 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और 02 जुलाई 2024 को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी।ऐसे में यह व्रत आज किया जाएगा.

योगिनी एकादशी पर बन रहे हैं 4 शुभ संयोग

1-धृति योग

2-त्रिपुष्कर योग

3-सर्वार्थ सिद्धि योग

4-शिववास योग

पूजा के दौरान इन मंत्रों करना चाहिए जाप

  • विष्णु गायत्री मंत्र – ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
  • विष्णु मंगल मंत्र – मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

कैसे करने चाहिए योगिनी एकादशी व्रत के नियम यहां जानें

योगिनी एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति भी चावल सेवन नहीं करें.

इस दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए . योगिनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को दान अवश्य करें. एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है.

योगिनी एकादशी व्रत में क्या फलाहार करना चाहिए?

फलाहार व्रत करने वाले को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए, वो आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन कर सकता है, जो भी फलाहार लें, भगवान को भोग लगाकर और तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।

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