बरसाना में आज होली का उल्लास देखने को मिला। शाम होते ही लठामार होली की शुरुआत हुई, जिसमें हुरियारिनों ने हुरियारों पर लाठियां बरसाईं और हुरियारों ने ढालों से अपनी रक्षा की। यह दृश्य बिलकुल द्वापर युग की लीला जैसा था, जहां रंग और उत्साह से हर गली गुलजार हो उठी। देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस अद्भुत होली के साक्षी बने। लठामार होली में सूर्य और चंद्र देव भी उत्साहित नजर आए। यह दिलचस्प और अनोखा आयोजन बरसाना की गलियों में एक विशेष उत्सव की तरह मनाया गया।
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बरसाना में आज होली का उमंग और उत्साह दिन भर बना रहा, लेकिन जैसे ही शाम हुई, लठामार होली का जश्न शुरू हुआ, तो हर कोई इस अद्भुत दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस अनुपम होली के साक्षी बने।
बरसाना की गलियां लाठियों और ढालों के रंगों से गुलजार हो उठीं। हुरियारिनों ने मस्ती में झूमते हुरियारों पर लाठियां बरसाईं, तो हुरियारों ने ढालों की ओट में खुद को बचाने की लीला दिखाई। यह दृश्य ऐसा था कि मानो द्वापर युग जीवंत हो उठा हो। लठामार होली की यह लीला इतनी जीवंत थी कि इसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो उठा, और यह दृश्य आंखों में बसा रहा।
इतना ही नहीं, होली का यह दृश्य देखकर चंद्र देव और सूर्य देव भी मानो उतावले हो गए। चंद्र देव तो आकर वहां पहुंचने को बेताब थे, वहीं सूर्य देव भी अपनी अस्त होने की गति रोककर इस अद्भुत लीला के साक्षी बने।
बरसाना में दिनभर होली के रंग बरसते रहे, लेकिन शाम पांच बजे के बाद लठामार होली का आयोजन हुआ। नंदगांव से हरियारे बरसाना पहुंचे और हुरियारिनें लाठियां लेकर तैयार हो गईं। इसके बाद ताबड़तोड़ लाठी की बौछार शुरू हुई और रंग-बिरंगे ढालों के साथ जमकर लठ बजाए गए। यह दृश्य देख हर कोई आनंदित हो उठा।
यह लीला बरसाना की सांस्कृतिक विरासत को और भी जीवंत करती है, जहां उत्सव और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिलता है।