उत्तर भारत के सबसे बड़े दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मंदिर में चल रहे दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन भगवान रंगनाथ की सवारी स्वर्ण हनुमानजी पर विराजमान होकर निकली। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हनुमानजी पर भगवान को विराजित किया गया, और फिर गजराज की अगुवाई में भव्य सवारी बड़े बगीचा पहुंची। वहां छोटी आतिशबाजी का आयोजन किया गया, जिससे पूरा मैदान जयकारों से गूंज उठा। मंदिर के सीईओ अगंना श्रीनिवासन ने बताया कि इस सवारी का उद्देश्य भक्तों को हनुमानजी के सदृश प्रभु के सेवक बनने की प्रेरणा देना है।
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उत्तर भारत के सबसे बड़े दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मंदिर में चल रहे दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव रथ मेले के तीसरे दिन भगवान रंगनाथ की भव्य सवारी निकली। इस अवसर पर भगवान रंगनाथ को स्वर्ण हनुमानजी पर विराजमान कर के सवारी निकाली गई।
सवारी के मार्ग में भगवान रंगनाथ का स्वागत बड़े बगीचा में भव्य आतिशबाजी के साथ किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
मंदिर के सीईओ अगंना श्रीनिवासन ने बताया कि भगवान रंगनाथ और हनुमानजी के दर्शन से भक्तों को प्रभु की भक्ति और सेवा का संदेश मिलता है। यह सवारी दर्शाती है कि भक्त हनुमानजी के समान प्रभु के सेवक बनने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।
इस भव्य आयोजन में गजराज (हाथी) की अगुवाई में भगवान की सवारी बड़े बगीचा पहुंची, जहां विश्राम के बाद छोटी आतिशबाजी का आयोजन किया गया और पूरा मैदान जयकारों से गूंज उठा।