7 सितंबर को पड़ने वाले चंद्रग्रहण के कारण जहां अधिकांश मंदिरों में सूतक काल के चलते पट बंद रहेंगे, वहीं मथुरा के ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर में ग्रहणकाल के दौरान भी दर्शन खुले रहेंगे। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि मंगला शृंगार और ग्वाल दर्शन सामान्य समय पर होंगे। राजभोग दर्शन सुबह 10 से 10:30 बजे तक, दोपहर दर्शन 2 से 2:10, संध्या आरती 2:40 से 2:50, शयन दर्शन 3:30 से 4 बजे तक होंगे। रात 9:57 से 1:27 तक ग्रहणकाल में दर्शन खुले रहेंगे।बरसाना के लाड़लीजी मंदिर में दर्शन का समय बदला गया है। वहां दर्शन सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक ही होंगे, इसके बाद पट बंद रहेंगे और 8 सितंबर की सुबह 5 बजे पुनः खुलेंगे।वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में भी परिवर्तन किया गया है। 7 सितंबर को मंदिर सुबह 5:30 से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहेगा, लेकिन शाम को बंद रहेगा।चंद्रग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा, ग्रहण रात 9:58 से 1:27 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अवधि में भगवान का ध्यान, मंत्र जाप और ग्रंथों का पाठ करना श्रेयस्कर माना गया है।
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7 सितंबर को लगने वाले चंद्रग्रहण के चलते मथुरा-वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में दर्शन व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अधिकतर मंदिरों में सूतक काल के कारण पट बंद रहेंगे, लेकिन ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर में इस दिन पूरे ग्रहणकाल के दौरान दर्शन खुले रहेंगे।
द्वारिकाधीश मंदिर में दर्शन व्यवस्था
- मंगला शृंगार और ग्वाल दर्शन: नियत समय पर
- राजभोग दर्शन: सुबह 10:00 से 10:30 बजे तक
- दोपहर दर्शन: 2:00 से 2:10 बजे तक
- संध्या आरती: 2:40 से 2:50 बजे तक
- शयन दर्शन: 3:30 से 4:00 बजे तक
- ग्रहण दर्शन: रात 9:57 से 1:27 बजे तक (पट खुले रहेंगे)
- 8 सितंबर को मंगल दर्शन: सुबह 3:30 बजे, फिर सेवा नियमित रूप से होगी
लाडलीजी मंदिर (बरसाना)
- दर्शन केवल सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक
- इसके बाद पट बंद रहेंगे
- अगले दिन सुबह 5 बजे से दोबारा दर्शन शुरू होंगे
बांकेबिहारी मंदिर (वृंदावन)
- मंदिर सुबह 5:30 से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहेगा
- शाम को पट बंद रहेंगे, कोई दर्शन नहीं होंगे
ग्रहण की समय-सारणी:
- सूतक प्रारंभ: 7 सितंबर दोपहर 12:57 बजे
- ग्रहण प्रारंभ: रात 9:58 बजे
- मोक्ष: रात 1:27 बजे
- छाया निर्गमन: रात 2:25 बजे
श्रीबलभद्र पीठाधीश्वर आचार्य विष्णु महाराज के अनुसार, ग्रहण काल में ईश्वर की आराधना, मंत्र जाप और ग्रंथ पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है।