पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा ली और किन्नर अखाड़े द्वारा उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया। किन्नर अखाड़े ने उनका पट्टाभिषेक कर उन्हें आधिकारिक रूप से महामंडलेश्वर बना दिया, जिसके बाद वह अब अखाड़े की साध्वी के रूप में पहचानी जाएंगी। इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में ममता कुलकर्णी ने एक वीडियो जारी कर भी जानकारी दी, जिसमें उन्होंने अपने इस नए अध्यात्मिक जीवन के बारे में खुलासा किया।
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पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ के पवित्र तट पर संन्यास की दीक्षा लेकर अपने नए अध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की। अब उन्हें किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में सम्मानित किया जाएगा। संगम के तट पर 45 दिनों के इस अलौकिक अनुभव ने उन्हें एक नई दिशा दी है, और वह अब अपने आध्यात्मिक सफर में किन्नर अखाड़े की प्रमुख साध्वी के रूप में पहचानी जाएंगी।
शुक्रवार को ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज पहुंचकर पिंडदान किया और संन्यास की दीक्षा ली। अब वह ‘यामाई ममता नंद गिरी’ के नाम से जानी जाएंगी। किन्नर अखाड़े ने उनका पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है, जिससे अब वह अखाड़े की प्रमुख साध्वी के रूप में पहचानी जाएंगी।
किन्नर अखाड़े के आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को दीक्षा देकर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की। नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरि दिया गया। अब वह इस नाम से जानी जाएंगी। ममता ने इस अवसर पर एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें उन्होंने बताया कि साध्वी बनने के बाद वह संगम, काशी और अयोध्या की पवित्र यात्रा पर जाएंगी।
ममता कुलकर्णी ने कहा कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ के पवित्र अवसर पर संन्यास लिया। उन्होंने बताया कि 23 साल पहले उन्होंने अपने गुरु श्री चैतन्य गगन गिरि से कुपोली आश्रम में दीक्षा प्राप्त की थी, और अब वह पूरी तरह से संन्यासिनी बन चुकी हैं।
ममता कुलकर्णी ने पिंडदान करने के बारे में कहा कि यह महादेव और महाकाली का आदेश था, साथ ही उनके गुरु का भी आदेश था। उन्होंने बताया कि आज का दिन विशेष रूप से उनके लिए चुना गया था और यह सब ऊपर वाले और गुरु की कृपा से ही संभव हो सका है। ममता ने यह भी कहा कि अब वह संन्यासिनी के रूप में नए जीवन में प्रवेश कर चुकी हैं और अपने समर्पित कार्यों के माध्यम से किन्नर समाज, सनातन धर्म और महिलाओं के हित में काम करेंगी।
ममता कुलकर्णी, जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी शुरुआत फिल्म तिरंगा (1992) से की, एक जानी-मानी अभिनेत्री और मॉडल रही हैं। उनका जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
ममता कुलकर्णी को 1993 में फिल्म आशिक आवारा के लिए फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा, वह सबसे बड़ा खिलाड़ी, करन-अर्जुन, वक्त है हमारा, और बाजी जैसी फिल्मों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
ममता कुलकर्णी ने 2002 में बॉलीवुड इंडस्ट्री से अलविदा ले लिया था। इसके बाद, 2016 में वह फिर सुर्खियों में आईं, जब पुलिस ने उन्हें ड्रग्स की अवैध सप्लाई मामले में शामिल किया।