महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच बुधवार को विधान परिषद सभापति राम शिंदे के कक्ष में करीब 20 मिनट की गोपनीय बैठक हुई। इस दौरान शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे।यह बैठक ऐसे समय हुई है जब फडणवीस ने विधानसभा में इशारों-इशारों में उद्धव ठाकरे को सत्तापक्ष से जुड़ने का प्रस्ताव दिया था। वहीं, आदित्य ठाकरे ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पहली कक्षा से तीन-भाषा नीति पर सुझावों का संकलन सौंपा।इससे पहले 5 जुलाई को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे भी दो दशक बाद एक मंच पर नजर आए थे, जिससे मराठी राजनीति में संभावित समीकरणों की अटकलें तेज हो गई हैं। विशेषज्ञ इसे राज्य में भविष्य की राजनीति के लिए संकेत मान रहे हैं।
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महाराष्ट्र की सियासत में नई करवट की अटकलें तब तेज हो गईं जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की एक बंद कमरे में मुलाकात हुई। यह बैठक विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में करीब 20 मिनट तक चली, जिसमें आदित्य ठाकरे भी मौजूद रहे।
इस मुलाकात से एक दिन पहले ही विधानसभा में फडणवीस ने इशारों-इशारों में उद्धव ठाकरे को सत्ता में शामिल होने का संकेत दिया था। अब इन लगातार बैठकों को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई कयास लगाए जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में कई मद्दों पर चर्चा हुई. इनमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद, राज्य में तीन-भाषा नीति जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. हालांकि दोनों नेताओं की ओर से इस मुलाकात को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस मुलाकात को महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित नए समीकरणों के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
भाजपा और शिवसेना ने 25 वर्षों तक साथ मिलकर राजनीति की थी, लेकिन 2014 में सीटों के बंटवारे को लेकर रिश्तों में दरार आ गई। 2019 में उद्धव ने भाजपा से नाता तोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाई, जो 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद गिर गई।
उधर, उद्धव और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के बीच भी हाल ही में रिश्ते सुधरते नजर आए हैं। दोनों 5 जुलाई को पहली बार दो दशक बाद एक मंच पर दिखे, जब हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के आदेश को सरकार ने वापस लिया। अप्रैल में राज ठाकरे ने भी संकेत दिया था कि मराठी हित के लिए भाइयों को एक होना चाहिए।