मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर आज ऐतिहासिक किष्किंधा रथ यात्रा का आयोजन किया गया, जो कर्नाटक स्थित श्री हनुमद जन्मभूमि से निकली थी। रथ यात्रा सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर पहुंची, जहां इस यात्रा का मार्गदर्शन द्वारिका पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य, स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने किया।
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स्वामी गोविंदानंद सरस्वती जी महाराज ने रथ को विश्राम दिया और रथ में सवार हनुमान जी और कृष्ण जी की चल प्रतिमाओं को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के अंदर प्रवेश कराकर विशेष पूजा अर्चना की।
इस मौके पर स्वामी गोविंदानंद सरस्वती जी ने कहा कि इस रथ यात्रा का कोई व्यक्तिगत संकल्प नहीं है, बल्कि यह भगवान के संकल्प से हुआ है। उन्होंने बताया कि हनुमान जी का कार्य हमेशा धर्म का प्रचार करना रहा है, जैसा त्रेतायुग में उन्होंने किया, वैसे ही द्वापर युग में भी कुरुक्षेत्र में धर्म का प्रचार किया। आज किष्किंधा से निकली हनुमान जी की रथ यात्रा श्रीकृष्ण जन्मभूमि पहुंची है।
स्वामी जी ने राम जन्मभूमि के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे राम जन्मभूमि का भव्य निर्माण हुआ, वैसे ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि का भी दिव्य और भव्य रूप में निर्माण हो, यह हमारी इच्छा है।
स्वामी जी ने संभल मुद्दे पर भी चर्चा की और कहा कि भगवान कल्कि का अवतार होने वाला है और उनकी कृपा से संपूर्ण संभल क्षेत्र जागरूक हो चुका है। अब मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भी हनुमान और शंकर जी की पूजा हो रही है।