एशियन गेम्स 2023 : मेरठ की बेटी ने चीन की धरती पर बढ़ाया देश का मान, रजत पदक पर किया कब्जा 

मेरठ की बेटी ने रजत पदक पर किया कब्जा

दो बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी मेरठ की बेटी पारुल चौधरी ने हाल में चीन में चल रहे एशियाई गेम्स 2023 में तिरंगे का मान बढ़ाया है। पारुल चौधरी ने 3000 मीटर स्टीपल चेज स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता है। पारुल के पदक जीतने की जानकारी जब मेरठ स्टेडियम में खेल रहे खिलाड़ियों और उनके परिवार को लगी तो खुशी का ठिकाना ना रहा। इसके बाद जगह-जगह पर मिठाइयां बांटकर एक दूसरे को बधाई दी गई।

दूसरे स्थान पर रहीं पारुल

चीन के हांगझाऊ में एशियन गेम्स 2023 का आयोजन किया जा रहा है। एशियन गेम्स 2023 में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में मेरठ की एथलीट पारुल चौधरी ने सोमवार को 3000 मीटर स्टीपल चेज स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक पर कब्जा किया है। बहरीन की यावी विनफ्रेड मुतिले ने 9:18:28 के समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया है, वहीं पारुल चौधरी 9:27:63 के समय के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। पारुल चौधरी के कोच रहे गौरव के अनुसार पारुल ने दो माह पहले थाइलैंड के बैंकाक में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। इसके अलावा 2018 एशियन गेम्स में भी पारुल पदक जीत चुकी हैं। पारुल दो बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। सोमवार को रजत पदक जीतने की सूचना पर स्टेडियम में अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों, पारुल के परिजनों और ग्रामीणों में में खुशी की लहर दौड़ गई। स्टेडियम में मिठाई बांटकर खिलाड़ियों ने अपनी खुशी जाहिर की।

कक्षा आठ से स्कूल स्तर की प्रतियोगिता से शुरू किया दौड़ना

मेरठ के दौराला ब्लॉक के इकलौता गांव निवासी कृष्णपाल सिंह किसान हैं। उनके दो बेटे और दो बेटी हैं। बड़ा बेटा राहुल दीवान टायर फैक्ट्री में मैनेजर है, दूसरे नंबर की बेटी प्रीति सीआईएसएफ में स्पोर्टस कोटे से दरोगा है। तीसरे नंबर की बेटी पारुल चौधरी अंतर्राष्ट्रीय धाविका है। जबकि, चौथे नंबर का बेटा रोहित यूपी पुलिस में है। पारुल चौधरी की कामयाबी से पूरे घर में खुशी का माहौल है। रिश्तेदारों से लेकर अन्य लोगों के बधाई को लेकर फोन आ रहे हैं। ग्रामीण परिवार के लोगों को घर पर बधाई देने पहुंचे। पारुल ने भराला गांव स्थित बीपी इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद मेरठ कॉलेज मेरठ से ग्रेजुएशन की। पारुल को शुरू से ही दौड़ का शौक था। वह कॉलेज में होने वाली क्षेत्रीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में प्रतिभाग करके जीत हासिल करती थी। यहीं, से पारुल की मेडल पाने की चाह बढ़ती चली गई। पारुल ने कॉलेज चैंपियन बनने के बाद जिला, स्टेट, नेशनल स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया। पटियाला पहुंचकर विवि की टॉपर रही। पारुल की मां राजेश देवी व पिता कृष्णपाल सिंह का कहना है कि उन्हें अपनी दोनों बेटी और बेटों पर गर्व है। पारुल ने उनका, जिले, प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है।

source by tricitytoday

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