हिमाचल प्रदेश में सोमवार रात को 17 जगह बादल फटे हैं। मंडी जिले में 15, जबकि कुल्लू और किन्नौर जिले में एक-एक जगह बादल फटा है। मंडी जिले में बारिश, बादल फटने और ब्यास नदी व नालों के रौद्र रूप से भारी तबाही हुई है।जहां 16 लोगों समेत प्रदेशभर में 18 लोगों की मौत की खबर है और 33 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। अकेले मंडी में 24 घर और 12 गोशालाएं जमींदोज हो गईं और कई पुल बह गए।एनडीआरएफ ने विभिन्न स्थानों से 332 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया। भारी बारिश से किन्नौर, कुल्लू, करसोग, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर, और गोहर में भी जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।प्रदेशभर में 400 से अधिक सड़कें बंद, 1500+ ट्रांसफार्मर ठप और 171 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। शिमला मौसम विभाग ने अगले 6 दिन बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिनमें 4 दिन ऑरेंज और 2 दिन येलो अलर्ट रहेगा।
सोमवार रात हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई। प्रदेशभर में 17 स्थानों पर बादल फटे, जिनमें सबसे अधिक मंडी जिले में 15, जबकि कुल्लू और किन्नौर में एक-एक स्थान शामिल है। इस आपदा में 18 लोगों की खबर सामने आई है, जिनमें से 16 मौतें अकेले मंडी जिले में हुई हैं। करीब 33 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, और दर्जनों घायल हैं। एनडीआरएफ और अन्य राहत एजेंसियों ने मिलकर अब तक 332 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया है।
मंडी जिले में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां 24 घर और 12 गोशालाएं पूरी तरह जमींदोज हो गईं। बाढ़ के चलते 30 मवेशियों की भी मौत की भी खबर है। कुकलाह के पास स्थित पटिकरी प्रोजेक्ट पूरी तरह बह गया है। थुनाग उपमंडल के कुकलाह क्षेत्र में बादल फटने से आई बाढ़ ने आठ घरों को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे 24 लोग बह गए। सूत्रों के अनुसार मंगलवार शाम तक 9 शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 21 लोग अभी लापता हैं।
पटिकरी में 16 मेगावाट का एक पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह बह गया है। करसोग के कई क्षेत्रों में एनडीआरएफ ने रेस्क्यू अभियान चलाया, जिसमें कॉलेज के 12 छात्रों और चार महिलाओं समेत कई लोगों को सुरक्षित निकाला गया। पंडोह बाजार को रात के समय खाली कराना पड़ा क्योंकि ब्यास नदी का पानी मंडी शहर तक पहुंच गया था।
कुल्लू के आनी क्षेत्र में कारशा नाले में बादल फटने से राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। किन्नौर के सांगला तहसील में भी बादल फटने की पुष्टि हुई है। चंबा में धुंध के कारण हुए सड़क हादसे में एक युवक की मौत हुई, जबकि कांगड़ा में निर्माणाधीन पुल के नीचे एक महिला का शव मिला है।
धर्मपुर के स्याठी गांव और जोगिंद्रनगर के नेरी कोटला में भी नुकसान की खबरें आई हैं। मंडी शहर के कई क्षेत्रों जैसे पैलेस कॉलोनी, टारना और डाइट में भारी जलभराव के चलते 56 लोगों को रेस्क्यू किया गया। कम विजिबिलिटी के कारण कांगड़ा की चार फ्लाइटें रद्द करनी पड़ीं और भुंतर हवाई अड्डे के लिए हवाई सेवाएं भी बंद रहीं।
हमीरपुर के बल्लह गांव में ब्यास नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण 51 लोग फंस गए थे, जिन्हें पांच घंटे की मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाला गया। नादौन के औद्योगिक क्षेत्र और कई पेयजल योजनाएं जलभराव और मलबे के कारण ठप हो गई हैं। मंडी-हमीरपुर निर्माणाधीन एनएच समेत कई सड़कें बाधित हैं।
राज्य में अगले छह दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने चार दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट और दो दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। सोलन, सिरमौर और कांगड़ा में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, शिमला, सिरमौर और सोलन जिलों के कुछ हिस्सों में अगले 24 घंटों में बाढ़ की आशंका है।
पूरे प्रदेश में अब तक 406 सड़कें बंद हो चुकी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 248 सड़कें मंडी जिले में हैं। पेयजल की 171 योजनाएं पूरी तरह ठप हैं और 1515 ट्रांसफार्मरों के फेल होने से कई क्षेत्रों में ब्लैकआउट हो गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लोगों से अपील की है कि नदी-नालों के पास न जाएं और कम से कम 500 मीटर की दूरी बनाए रखें।
राजस्थान के कोटा जिले में भी भारी बारिश के कारण कोटा बैराज के 5 गेट खोलने पड़े हैं। उत्तराखंड के रामनगर क्षेत्र में नदियां उफान पर हैं और सुरक्षा कारणों से जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। ओडिशा के क्योंझार में एक अवैध सुरंग में मैंगनीज खदान धंसने से तीन लोगों की मौत हो गई है। मानसून की मार पूरे उत्तर भारत में कहर बनकर टूटी है और राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।