श्रावण मास के प्रथम सोमवार को वृंदावन स्थित वात्सल्य ग्राम में भक्ति, श्रद्धा और उत्साह से परिपूर्ण ‘वात्सल्य सावन महोत्सव’ का भव्य आयोजन हुआ। शिवभक्तों ने यमुना तट से पवित्र जल कांवर में भरकर भजन-कीर्तन और शंखनाद के साथ बाबा भोलेनाथ की जयकार करते हुए कांवर यात्रा निकाली।
यह भी पढ़ें: Axiom-4 Mission Live Updates: ISS से पृथ्वी के लिए रवाना हुए शुभांशु शुक्ला, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय
कांवर यात्रा का पावन समर्पण
इस शुभ अवसर पर गोकुलम् की माताएं, वात्सल्य ग्राम निवासी, एवं संविद गुरुकुलम बालिका सैनिक स्कूल की छात्राएं शामिल रहीं। सभी ने यमुना तट से जल भरकर कांवर में सजाया और उसे भक्ति के साथ वात्सल्यमूर्ति साध्वी ऋतंभरा जी को सौंपा।
12 फीट ऊंचे नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जलाभिषेक
साध्वी ऋतंभरा कांवर जल के साथ वात्सल्य ग्राम परिसर स्थित ‘मंगल मानस’ पहुंचीं, जहाँ उन्होंने भगवान भोलेनाथ की परिक्रमा कर जलाभिषेक किया।
विशेष आकर्षण रहा – 12 फीट ऊँचा और 60 टन वजनी नर्मदेश्वर शिवलिंग, जिस पर बेलपत्र और पुष्प अर्पित किए गए।
भक्ति, संगीत और परंपरा का संगम
इस मौके पर गोकुलम् की यशोदा माताओं ने मेंहदी रचाकर झूला झूलने की परंपरा निभाई और श्रावण मल्हार गाकर पूरे आयोजन को संगीतमय बना दिया।
श्रावण मास की विशेषता पर साध्वी ऋतंभरा के विचार
साध्वी ऋतंभरा जी ने इस अवसर पर कहा-श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का श्रेष्ठ काल है। इस माह में रुद्राभिषेक करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। यह मास केवल भक्ति का ही नहीं, आत्मिक जागरण और आंतरिक शक्तियों के उत्थान का भी समय है।”
उन्होंने बताया कि
- बेलपत्र शिव को अतिप्रिय हैं, जिनके तीन पत्तों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।
- समुद्र मंथन से निकले हलाहल को जब शिव ने ग्रहण किया, तभी से वे नीलकंठ कहलाए।
- सावन में प्रकृति भी प्रसन्न रहती है. हरियाली, सौंदर्य और ऊर्जा का महीना होता है।
उपस्थित रहे अनेक श्रद्धालु और गणमान्यजन
इस विशेष आयोजन में कई संत, समाजसेवी और भक्तजन उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख हैं:
संजय भैया, सुमन लता, सीता परमानंद, साध्वी सुहृदया गिरि, साध्वी शिरोमणि, स्वामी सत्यशील, डॉ. लक्ष्मी गौतम, मीनाक्षी अग्रवाल, ममता भारद्वाज, अनीता चतुर्वेदी, और गोकुलम् की यशोदा माताएं।कार्यक्रम का समापन भजन और शिव स्तुति के साथ हुआ।