Chaitra Navratri Day 4th 2025: नवरात्रि के चौथे दिन इस विधि से करनी चाहिए मां कुष्‍मांडा की पूजा- अर्चना, जानें भोग, मंत्र और आरती

नवरात्रि के चौथे दिन इस विधि से करनी चाहिए मां कुष्‍मांडा की पूजा

नवरात्रि 2025 दिन 4 की शुभकामनाएं: पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा व दूसरे दिन मां-ब्रह्मचारिणी और तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने के बाद नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-उपासना करने का विधान है। माता के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से सभी रोग व कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामना पूरी होती हैं.

चैत्र नवरात्रि इस बार 9 दिनों के बजाय 8 दिनों की है। इस बार द्वितीया और तृतीया तिथि का संयोग एक ही दिन होने के कारण नवरात्रि में एक दिन घट रहा है।नवरात्रि के हर दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्री के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा की पूजा और उपासना करने से भक्तों के समस्त रोग, कष्ट और शोक समाप्त हो जाते हैं। नवरात्रि के इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा से भक्तों की आयु, यश, कीर्ति, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। कुष्मांडा देवी के आठ भुजाएं हैं इसलिए इन माता को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है

नवरात्रि 2025: माँ-कुष्‍मांडा की कहानी

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। उनके आठ भुजाएं हैं, इसलिए उन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है.जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण किए हुए हैं। मां सिंह की सवारी करती हैं। उनका यह स्वरूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर अंधकार था, तब माँ कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की.  इसी कारण उन्हें सृष्टि की आदिशक्ति या आदिस्वरूपा भी कहा जाता है. उनका वाहन सिंह है और उनका निवास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है.  उनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की तरह ही चकीली है, और उनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं. 

नवरात्रि 2025 दिन 4 : इन मंत्रो का करें जाप
1 – या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 2-ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडा देवी नमः 

मां कुष्‍मांडा की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन विशेष रूप से भक्त मां कुष्मांडा के आशीर्वाद के लिए उपासना करते हैं।तो, इस दिन की पूजा विधि की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से होती है। इसके बाद, सबसे पहले मां कुष्मांडा के व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके, लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और फिर मां की प्रतिमा स्थापित करें।मां कुष्मांडा का ध्यान करते हुए पूजा शुरू करें और इस दौरान पीले वस्त्र, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य और अक्षत अर्पित करें।इसके बाद, मां की आरती करें और भोग अर्पित करें। पूजा के अंत में ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।इस पूजा विधि से भक्तों को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

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मां कुष्‍मांडा का भोग |Maa Brahmacharini Bhog

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा को भोग में दही, हलवा, मालपुआ, पेठा, फल, और सूखे मेवे चढ़ाए जा हैं. 

मां कुष्‍मांडा की आरती: Maa Brahmacharini Puja Aarti

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

॥ मां कुष्‍मांडा की आरती सम्पूर्ण

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