मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण और न्यास गठन के खिलाफ हो रहा विरोध अब तूल पकड़ता जा रहा है। मंदिर के गोस्वामी, व्यापारी और महिलाएं मिलकर सड़कों पर उतर आए हैं। इससे पहले प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को खून से पत्र लिखते हुए कॉरिडोर का विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने “कॉरिडोर हाय-हाय” और “प्रशासन की तानाशाही नहीं चलेगी”जैसे नारे लगाए।500 करोड़ की लागत से प्रस्तावित यह परियोजना भूमि अधिग्रहण के जरिए बनेगी, जिसमें बांके बिहारी मंदिर की 450 करोड़ की राशि का उपयोग किया जाएगा। विरोधियों का कहना है कि वृंदावन की गलियों और संस्कृति को उजाड़ा जा रहा है और वे किसी भी कीमत पर मंदिर और ठाकुर जी को नहीं छोड़ेंगे।
मथुरा में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और इसके संचालन के लिए न्यास गठन को लेकर स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और मंदिर सेवायतों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। शनिवार को महिलाओं और व्यापारियों ने संगठित होकर प्रदर्शन किया और इस परियोजना को “वृंदावन की सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ” बताया।
प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिखकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। विरोध कर रही महिलाओं ने कहा कि “हम किसी भी कीमत पर ठाकुर जी और वृंदावन को नहीं छोड़ेंगे, न ही इस जबरन थोपे जा रहे कॉरिडोर को स्वीकार करेंगे।
इस परियोजना के तहत लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें भूमि अधिग्रहण का खर्च भी शामिल है। बताया गया है कि इसके लिए बांके बिहारी मंदिर के खजाने से 450 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस प्रक्रिया में आसपास की दुकानों और घरों का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है, जिससे स्थानीय लोग असहमति जता रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने “कॉरिडोर हाय-हाय”, “प्रशासन की तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाते हुए चेतावनी दी कि यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कॉरिडोर परियोजना से न केवल वृंदावन की पारंपरिक गलियों और धार्मिक संरचना पर असर पड़ेगा, बल्कि इससे हजारों लोगों के रोज़गार और निवास भी प्रभावित होंगे।