सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रकुंडी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत खासकर माघ माह में मनाया जाता है, और इस दिन का महत्व विशेष रूप से अधिक होता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने के चौथे दिन होता है, लेकिन माघ माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की महिमा सबसे अधिक मानी जाती है।माना जाता है कि इस दिन यदि महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और पूरी श्रद्धा के साथ गणेश भगवान की पूजा करती हैं, तो उनकी संतान हमेशा स्वस्थ और निरोग रहती है।
इस वर्ष सकट चौथ, जिसे तिल चौथ के नाम से भी जाना जाता है. सकट चौथ का व्रत आज रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से संतान के लिए लंबी आयु, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। सकट चौथ को तिलकुट चौथ, माघ संकष्टी चतुर्थी और अन्य नामों से भी जाना जाता है।
यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संतान सुख और उनके स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाता है। व्रति महिलाएं पूरे दिन उपवासी रहकर भगवान गणेश की पूजा करती हैं और चंद्र देव को अर्घ्य देती हैं। माना जाता है कि इस दिन की पूजा से संतान की रक्षा होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सकट चौथ 17 जनवरी यानी आज मनाई जा रही है। यह पर्व हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और सकट माता की पूजा का विशेष महत्व होता है।
सकट चौथ का व्रत करने से जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य में वृद्धि होती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। व्रति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस दिन भगवान गणेश और सकट माता की पूजा करके अपनी इच्छाओं की प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं।
सकट चौथ 2025: जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, सकट चौथ का व्रत हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
सकट चौथ 2025 के शुभ मुहूर्त:
- लाभ मुहूर्त: सुबह 8:34 से 9:53 तक
- अमृत मुहूर्त: सुबह 9:53 से 11:12 तक
इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा का महत्व है। सकट चौथ का व्रत संतान सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है, और इस दिन की पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
गणेश स्तुति मंत्र
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।
सकट चौथ व्रत के नियम
- सकट चौथ का व्रत निर्जला होता है, जिसमें पानी भी नहीं पिया जाता।
- इस दिन महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर पूजा की तैयारी करनी चाहिए।
- पूजा में भगवान गणेश, चंद्र देव और तिल का महत्व है।
- पूजा में विशेष रूप से तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है।
पूजा विधि
- पूजा स्थल को साफ करके वहां एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- भगवान गणेश और चंद्र देव की मूर्तियों या चित्रों को रखें।
- तिल, गुड़, फल, फूल, और दीपक पूजा में शामिल करें।
- पूजा के बाद चंद्रमा को देखकर उन्हें अर्घ्य दें और व्रत का समापन करें।
सकट चौथ पूजा सामग्री
गणेश जी की प्रतिमा, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, जनेऊ, सुपारी पान का पत्ता, सकट चौथ की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी
पीला कपड़ा, लौंग, रोली, अबीर, गुलाल, गाय का घी, दीप, धूप, गंगाजल, मेहंदी, सिंदूर, इलायची, अक्षत, हल्दी, मौली, गंगाजल, 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, फल, कलश, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, चीनी आदि, इत्र, सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक।
सकट चौथ व्रत के नियम: जानें पूजा विधि और आवश्यक बातें
सकट चौथ के व्रत में कुछ विशेष नियम होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए।
- भगवान गणेश के कपड़े: इस दिन भगवान गणेश को उनके हरे रंग के कपड़े पहनाने चाहिए। हरे रंग को शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- तिलकुट का भोग: सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिलकुट (तिल और गुड़ से बनी मिठाई) का भोग अर्पित करना न भूलें। तिलकुट का भोग विशेष रूप से इस दिन के व्रत का हिस्सा होता है।
- तिल से बनी चीजें: इस दिन तिल से बनी चीजें, जैसे तिल के लड्डू या तिल से बनी मिठाई का भोग भगवान गणेश को अर्पित किया जा सकता है। यह तिलकुट के भोग के रूप में होता है।
- चंद्रमा को अर्घ्य: सकट चौथ के व्रत का पारण चंद्रमा को जल अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है। चंद्रमा की पूजा के बाद ही उपवासी व्रति अपना व्रत खोलते हैं और आहार ग्रहण करते हैं।
सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ का व्रत विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित है और इसे श्रद्धा व विश्वास के साथ करने से संतान सुख की प्राप्ति और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन के व्रत के साथ सकट चौथ की कथा सुनना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह कथा भक्तों को आस्था, संतान सुख और भगवान गणेश की कृपा की ओर प्रेरित करती है।
कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों, कार्तिकेय और गणेशजी से यह पूछा कि कौन देवताओं के कष्टों को दूर कर सकता है। इस पर दोनों ने अपने-अपने तरीके से इस कार्य को करने का दावा किया। शिवजी ने कहा कि जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा, वही यह कार्य करेगा।
कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। इस दौरान गणेशजी ने सोचा कि उनका वाहन चूहा है, जो इतनी बड़ी पृथ्वी की परिक्रमा करने में अधिक समय लेगा। तब उन्होंने एक विशेष उपाय अपनाया और माता-पिता शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा करके वापस लौट आए।
जब कार्तिकेय वापस लौटे, तो उन्होंने खुद को विजयी बताया, लेकिन भगवान शिव ने गणेशजी से पूछा कि उन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा क्यों नहीं की। गणेशजी ने उत्तर दिया कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त विश्व का वास है और उनके आशीर्वाद से ही हर कार्य सफल होता है। भगवान शिव गणेशजी की इस बुद्धिमानी से प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं के कष्टों का निवारण करने का आशीर्वाद दिया।
भगवान शिव ने यह आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति चतुर्थी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करेगा, उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे. सकट चौथ का यह व्रत आस्था, संतान के कल्याण और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन की पूजा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति मिलती है, साथ ही संतान सुख की प्राप्ति की भी भावना होती है।
महत्व
सकट चौथ का व्रत खासकर संतान सुख के लिए किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश ने अपनी माता पार्वती से संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद इस दिन का महत्व बताया था। वहीं, चंद्र देव की पूजा से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए शुभ मानी जाती है।
इस तरह, सकट चौथ के व्रत से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि यह व्रत घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता की न्यूज बीपी भारत पुष्टि नहीं करता है।