दिल्ली: जगदगुरु शंकराचार्य की अध्यक्षता में सनातन धर्म संसद का आयोजन, ‘सनातन बोर्ड’ की स्थापना, प्रमुख मुद्दों पर चर्चा

दिल्ली में सनातन धर्म संसद का आयोजन

दिल्ली के यमुना खादर स्थित करतापुर चौथा पुस्ता में आयोजित ‘सनातन धर्म संसद’ में देशभर से आए संतों और धर्माचार्यों ने एकजुट होकर सनातनी हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। यह आयोजन सनातन न्यास फाउंडेशन के तत्त्वाधान में और जगदगुरु शंकराचार्य की अध्यक्षता में हुआ। इस धर्म संसद में, सनातन धर्म की रक्षा और समृद्धि के लिए एक मत से ‘सनातन बोर्ड’ के गठन की आवश्यकता पर बल दिया गया।

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दिल्ली के यमुना खादर में आयोजित ‘सनातन धर्म संसद’ में संतों और धर्माचार्यों ने एकजुट होकर सनातन हितों की रक्षा के लिए ‘सनातन बोर्ड’ के गठन की आवश्यकता पर जोर दिया। इस महत्वपूर्ण आयोजन का नेतृत्व जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने किया, और सनातन न्यास फाउंडेशन के तत्त्वाधान में यह सभा संपन्न हुई।

सनातन धर्म संसद में उठे अहम मुद्दे, ‘सनातन बोर्ड’ के गठन पर जोर

सनातन न्यास फाउंडेशन के तत्त्वाधान में और जगदगुरु शंकराचार्य की अध्यक्षता में आयोजित ‘सनातन धर्म संसद’ में देशभर से आए संतों और धर्माचार्यों ने सनातनी हितों की रक्षा के लिए एकजुट होकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस धर्म संसद में, ‘सनातन बोर्ड’ के गठन की आवश्यकता पर विशेष रूप से बल दिया गया।

धर्म संसद में वक्फ बोर्ड के असंवैधानिक अधिकार, प्रसाद में मिलावट, लव जिहाद और मुंबई चुनावों में मुस्लिम आरक्षण की मांग जैसे मुद्दों पर भी वक्ताओं ने अपनी बात रखी। इस दौरान, सनातन बोर्ड में शामिल किए जाने वाले विषयों पर भी गहन मंथन हुआ।

साथ ही, इस धर्म संसद में यह घोषणा की गई कि अगली धर्म संसद का आयोजन प्रयाग कुम्भ मेला में किया जाएगा। मथुरा के देवकी नंदन महाराज ने इस महा आयोजन का दिल्ली में आयोजन किया, और उन्होंने धर्म और समाज के कल्याण के लिए इसके महत्व को बताया।

दिल्ली में आयोजित सनातन धर्म संसद में लाखों लोगों ने एकजुट होकर सनातनी एकता की हुंकार भरी

दिल्ली के यमुना खादर स्थित करतापुर चौथा पुस्ता के पास आयोजित ‘सनातन धर्म संसद’ में देशभर से आए संतों और साधु-संतों की उपस्थिति में सनातनी एकता का जोश देखा गया। इस भव्य आयोजन में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, जिनमें हजारों युवा भी शामिल थे, जिन्होंने सनातनी एकता के लिए हुंकार भरते हुए हर वक्तव्य पर जय श्रीराम और राधे-राधे के जयकारों से माहौल को गुंजायमान कर दिया।

जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज की अध्यक्षता में हुए इस धर्म संसद में देश के प्रमुख संतों और कथाकारों ने सनातन धर्म की रक्षा और उसकी समृद्धि के लिए विचार व्यक्त किए। मंच से दिए गए वक्तव्यों को सुनने के लिए सैकड़ों भक्त और अनुयायी उपस्थित थे, जो हर शब्द को ध्यान से सुनते हुए उत्साहित दिखे।

इस धर्म संसद में कुम्भ मेला में गैर-हिंदुओं को दुकानें लगाने की अनुमति नहीं देने के प्रस्ताव का समर्थन भी किया गया, जिसे आयोजन में मौजूद संतों ने एक महत्वपूर्ण कदम माना।

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती का बयान: सनातन बोर्ड की स्थापना समय की आवश्यकता

दिल्ली में आयोजित सनातन धर्म संसद के दौरान जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि “जिनके धर्म-शास्त्रों में भारत का नाम लिखा है, वही भारत के असली निवासी हैं।” उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा के लिए ‘सनातन बोर्ड’ के गठन की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे समय की जरूरत बताया। स्वामी सदानंद सरस्वती ने यह भी कहा कि वर्तमान समय और सरकार, सनातनियों के लिए अनुकूल हैं, और अब इस बोर्ड का गठन एक अनिवार्यता बन गई है।

स्वामी जी ने यह भी सुझाव दिया कि देश के हर जिले में सनातन बोर्ड के समर्थन में सभा आयोजित की जाए, ताकि सनातन धर्म की आवाज को और भी बुलंद किया जा सके। उन्होंने हिंदुत्व और हिंदू धर्म के बीच के संबंध को स्पष्ट करते हुए कहा, “जो हिंदुत्व को मानता है वही हिंदू है। हिंदू से हिंदुत्व अलग नहीं हो सकता।

शिव कथा प्रवक्ता ने उठाए महत्वपूर्ण मुद्दे

दिल्ली में आयोजित सनातन धर्म संसद में जूना अखाड़ा के अध्यक्ष महंत नारायण गिरी महाराज ने सनातन बोर्ड के गठन का समर्थन करते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि “खाद्य पदार्थों को अपवित्र करने वाले लोगों को सनातनी कुम्भ से दूर रहना चाहिए।” उनके अनुसार, जिस तरह काबा में हिंदू को प्रवेश नहीं मिलता, वैसे ही हिंदू धर्मस्थलों पर भी अन्य धर्मों के लोगों का प्रवेश निषेध होना चाहिए। यह बयान धर्म और संस्कृति की रक्षा की दिशा में एक कड़ा संदेश था।

धर्म संसद में शिव कथा प्रवक्ता प्रदीप मिश्रा ने भी अपना वक्तव्य दिया, जिसमें उन्होंने धर्म और बहन-बेटियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि “उन्हें शस्त्र चलाने की शिक्षा लेनी चाहिए,” ताकि वे अपनी सुरक्षा और सनातन धर्म की रक्षा के लिए सक्षम हो सकें।

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