करवा चौथ सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाता है। इस पर्व पर सुहागिन स्त्रियाँ पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं और शाम को चंद्रमा दर्शन के उपरांत भोजन करती हैं। करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं.
करवाचौथ व्रत का महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. करवा चौथ का यह व्रत महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और उनकी कामना के लिए रखती हैं. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजन किया जाता है। करवाचौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के साथ साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर यानी आज रखा जा रहा है.
करवा चौथ के दिन विधिवत पूजा के बाद महिलाएं रात को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं. करवा चौथ का व्रत कठिन होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किए बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है. चलिए जानते हैं कि करवा चौथ पूजन मुहूर्त, पूजा विधि, आरती, मंत्र व सबकुछ
जानिए कहाँ कितने बजे निकलेगा चाँद
दिल्ली में रात 7 बजकर 53, मिनट पर निकलेगा, मुंबई में रात 8 बजकर 36 मिनट पर निकलेगा, कोलकाता में रात 7 बजकर 22 मिनट पर निकलेगा, बेंगलुरु में रात 8 बजकर 30 मिनट पर निकलेगा, चेन्नई में रात 8 बजकर 18 मिनट पर निकलेगा, जयपुर में रात 7 बजकर 54 मिनट पर निकलेगा, पुणे में रात 8 बजकर 56 मिनट पर निकलेगा, गुरुग्राम में रात 7 बजकर 55 मिनट पर निकलेगा, नोएडा में रात 7 बजकर 52 मिनट पर निकलेगा, भोपाल में रात 8 बजकर 07 मिनट पर निकलेगा, पटना में रात 7 बजकर 29 मिनट पर निकलेगा, रांची में रात 7 बजकर 35 मिनट पर निकलेगा, रायपुर में रात 7 बजकर 43 मिनट पर निकलेगा
सरगी का महत्व और शुभ मुहूर्त 2024
सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा। ऐसे में 20 अक्तूबर को सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर है। करवा चौथ पर सरगी सूर्योदय होने से दो घंटे पहले खाई जाती है। ऐसे करवा चौथ पर सरगी खाने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
करवा चौथ पूजन सामग्री
करवा चौथ में मिट्टी या तांबे का बर्तन और उसका ढक्कन, पान का पत्ता, कलश, साबुत चावल के दाने, मिट्टी का दीया, करवा, फल, फूल, हल्दी, देसी घी, कच्चा दूध, शहद, चीनी, रोली, मौली, मिठाई व छलनी आदि चीजों की जरूरत पड़ती है।
करवा चौथ पूजन विधि
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू हो जाता है और फिर पूरे दिन निर्जला उपवास रखा जाता है. पूजा के लिए सोलह श्रृंगार करके तैयार हों जाए और दीवार पर करवा करवा माता का चित्र बनाएं या बाजार से बना बनाया खरीद कर लगाएं. फिर, चावल के आटे में हल्दी मिलाकर जमीन पर चित्र बनाएं. जमीन में बने इस चित्र के ऊपर करवा रखें और इसके ऊपर घी का जलता हुआ दीपक रखें.
करवा में आप 21 या 11 सींकें लगाएं और करवा के भीतर खील बताशे , साबुत अनाज इनमें से कुछ भी डालें. इसके बाद भोग के लिए आटे की बनी पूड़ियां, मीठा हलवा, खीर आदि रखें. फिर, करवा के साथ आप सुहाग की सामग्री भी अवश्य चढ़ाएं. यदि आप सुहाग की सामग्री चढ़ा रही हैं तो सोलह श्रृंगार चढ़ाएं. करवा के पूजन के साथ एक लोटे में जल भी रखें इससे चंद्रमा को जल दिया जाता है. पूजा करते समय करवा चौथ की व्रत कथा जरूर सुने. चांद निकलने के बाद छलनी से पति को देखें फिर चांद के दर्शन करें. चन्द्रमा को जल से अर्घ्य दें और पति की लंबी उम्र की कामना करें.
करवा चौथ पर क्यों होते हैं चंद्र दर्शन
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. चंद्रमा आयु, यश और समृद्धि का भी प्रतीक है. ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार, इस बार चद्रमा अपनी उच्च राशि में है. करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा करने का विधान है. लेकिन मुख्य रूप से गणपति की ही पूजा होती है. गणपति की पूजा से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं. गणेश जी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है.
करवाचौथ की पूजा के लिए आज चार सबसे शुभ मुहूर्त हैं।
- चल मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 15 मिनट तक।
- लाभ चौघड़िया सुबह 9 बजकर 15 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक।
- इसके बाद अमृत चौघड़िया सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 6 मिनट तक।
- इसके बाद शुभ चौघड़िया का मुहूर्त दोपहर में 1 बजकर 31 मिनट से 2 बजकर 46 मिनट तक।
करवाचौथ रात की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
- शाम शुभ चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक।
- इसके बाद शाम में अमृत चौघड़िया का शुभ मुहूर्त 7 बजकर 51 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक।
- इसके बाद चल चौघड़िया रात में 8 बजकर 56 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक।
करवा चौथ की व्रत कथा
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सभी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे साहूकारनी के साथ उसकी बहुओं और बेटी ने चौथ का व्रत रखा था। चौथ का व्रत में चांद देखकर ही व्रत खोलते है। रात के समय जब साहूकार के लड़के भोजन करने आए तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने के लिए कहा। इस पर बहन बोली- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। आज मैं चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही भोजन करूंगी।
साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं गई और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से बहन को दिखाता है, छलनी की ओट में रखा दीपक चांद की तरह लगता है। ऐसे में वो ऐसा लगता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। बहन ने अपनी भाभी से भी कहा कि चंद्रमा निकल आया है व्रत खोल लें, ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद निकलने में समय है ये तो तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। जिससे तुम अपना व्रत खोल सको।
साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों की बात अनसुनी तक दी और उसने भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार उसका करवा चौथ का व्रत खंडित हो गया। जिससे भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हुए और इस कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया। लड़की के घर का सारा धन पति की बीमारी को ठीक कराने में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने द्वारा किए गए पाप का पता लगा तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा मांगी और फिर से विधि-विधान चतुर्थी का व्रत किया और सभी से आशीर्वाद ग्रहण किया।लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसके पति को जीवनदान दिया
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