आज अक्षय नवमी का पर्व मनाया जा रहा है, जो विशेष रूप से आंवले से जुड़ा हुआ है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे भगवान श्री कृष्ण के कंस वध और धर्म की स्थापना के दिन के रूप में माना जाता है। साथ ही, आंवले का फल अमरता का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन आंवले के सेवन से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि स्वास्थ्य भी मजबूत होता है।
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इस साल अक्षय नवमी 10 नवंबर, यानी आज मनाई जा रही है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। अक्षय नवमी का दिन विशेष रूप से आंवले के वृक्ष और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है, और इसे विशेष रूप से व्रत, पूजा और आंवला सेवन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि यह स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्ति का भी प्रतीक है।
नातन धर्म में अक्षय नवमी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय नवमी के शुभ दिन पर लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। इस दिन साधक व्रत रखते हैं और आंवले के पेड़ की पूजा भी करती हैं। यह पवित्र दिन अक्षय तृतीया के समान ही महत्वपूर्ण है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी का यह शुभ दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है
आंवले के वृक्ष के निकट कैसे करें पूजा?
अक्षय नवमी की सुबह स्नान करके पूजा करने का संकल्प लें. प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले. पूर्व दिशा की ओर मुख करें और आंवले के पेड़ को जल अर्पित करें. वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और कपूर से आरती करें. वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं. स्वयं भी भोजन करें.
अक्षय नवमी 2024: तिथि और समय
- तिथि: 10 नवंबर 2024 (रविवार)
- नवमी तिथि का प्रारंभ: 9 नवंबर 2024 को रात 10:47 बजे
- नवमी तिथि का समापन: 10 नवंबर 2024 को रात 11:28 बजे
इसलिए, अक्षय नवमी का व्रत 10 नवंबर को रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त दिनभर रहेगा, लेकिन विशेष रूप से पूजा का सर्वोत्तम समय सूर्योदय से लेकर 12 बजे तक माना जाता है।
अक्षय नवमी का महत्व और आंवले के वृक्ष की पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है, और इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन विशेष रूप से आंवला सेवन और आंवले के पेड़ की छांव में बैठकर भोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा विधि:
- आंवले का पूजन: इस दिन सबसे पहले आंवले के वृक्ष की पूजा करें। आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं, अगरबत्ती रखें और फूल चढ़ाएं। फिर आंवले का भोग भगवान विष्णु को अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ उनके अवतारों की पूजा भी की जाती है। घर में पूजा स्थल पर श्रीविष्णु का चित्र या मूर्ति रखें और उन्हें आंवले का प्रसाद अर्पित करें।
- आंवले का सेवन: पूजा के बाद आंवले का सेवन करें और इसे परिवार के सभी सदस्यों को भी खिलाएं। इससे स्वास्थ्य लाभ होता है और पूरे परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- विशेष पूजा मंत्र:
“ॐ श्री विष्णवे नमः”
इस मंत्र का उच्चारण पूजा के दौरान करें, इससे पूजा का महत्व बढ़ता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
आंवला नवमी पर विशेष उपाय:
- आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करना: इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। यह उपाय आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
- व्रत का पालन: यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और सिर्फ आंवला का सेवन करें। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी?
अक्षय नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है और इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण ने अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी और यही वह दिन था जब सत्य युग की शुरुआत हुई थी। तभी से इस महापर्व की शुरुआत हुई।ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आंवले के वृक्ष की पूजा विधि – अक्षय नवमी 2024
अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और साथ ही सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं, आंवले के वृक्ष की पूजा विधि।
आंवले के वृक्ष की पूजा विधि:
सूर्योदय से पहले उठें: अक्षय नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्वच्छ और धोए हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (हल्दी, कुमकुम, फूल, दीपक, जल, कच्चा दूध, आदि) तैयार कर लें।
आसन लगाकर पूजा प्रारंभ करें: अब आंवले के वृक्ष के पास एक साफ स्थान पर आसन बिछाकर बैठें। अगर आंवला वृक्ष घर के बगीचे या आंगन में है तो वहां पूजा करें, यदि यह बाहर किसी स्थान पर है तो वहां भी पूजा की जा सकती है।
वृक्ष की पूजा करें:
- हल्दी, कुमकुम और फूल से आंवला वृक्ष का पूजन करें। पहले वृक्ष के तने और शाखाओं पर हल्दी और कुमकुम लगाकर फूल अर्पित करें।
- पानी और कच्चा दूध वृक्ष की जड़ के पास अर्पित करें। यह कार्य वृक्ष के लिए आशीर्वाद स्वरूप किया जाता है।
वृक्ष की परिक्रमा करें:
- वृक्ष की आठ बार परिक्रमा करें। यह परिक्रमा वृक्ष की पूजा को और प्रभावी बनाती है।
- कुछ स्थानों पर आंवले के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा का विधान भी है। यदि समय और शक्ति हो तो यह विधि भी अपनाई जा सकती है।
कच्चा सूत या मौली बांधें: पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के तने पर कच्चा सूत या मौली बांधें। यह कार्य मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि के लिए किया जाता है।
आंवला नवमी की कथा पढ़ें या सुनें: पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ें या किसी से सुनें। कथा सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। यदि आप स्वयं पूजा कर रहे हैं तो कथा का पाठ करें, इससे आशीर्वाद मिलता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
वृक्ष के नीचे भोजन करें: पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे सुख-समृद्धि की कामना करते हुए भोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह परंपरा यह सुनिश्चित करती है कि परिवार को हमेशा स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता रहे।
स्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। न्यूज बीपी भारत यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।
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