आज, 24 फरवरी को फाल्गुन माह की विजया एकादशी व्रत मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस वर्ष विजया एकादशी पर कुछ विशेष योग बन रहे हैं, जो इसे और भी शुभ बनाते हैं। आइए जानते हैं पंचांग के अनुसार आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, 24 फरवरी 2025 को विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है और जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-अर्चना के समर्पित माना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। विजया एकादशी अपने नामानुसार विजय प्रादन करने वाली है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आज, 24 फरवरी को है, जिस दिन विजया एकादशी व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से पूजा और दान का महत्व है। विजया एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से पवित्र फल की प्राप्ति होती है। इस दिन कई शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं.
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:11 बजे से 6:01 बजे तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:29 बजे से 3:15 बजे तक।
निशिथ काल: मध्यरात्रि 12:09 बजे से रात 1:00 बजे तक।
गोधूलि बेला: शाम 6:15 बजे से 6:40 बजे तक।
आज का अशुभ मुहूर्त 24 फरवरी 2025 इस प्रकार है:
- राहुकाल: सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक।
- गुलिक काल: दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक।
- यमगंड: सुबह 10:30 बजे से 12:00 बजे तक।
- अमृत काल: सुबह 6:50 बजे से 8:16 बजे तक।
- दुर्मुहूर्त काल: दोपहर 12:57 बजे से 1:43 बजे तक
विजया एकादशी के दिन क्या न करें?
विजया एकादशी के दिन विशेष रूप से मन को सकारात्मक रखना चाहिए और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए। इस दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए और ईर्ष्या, क्रोध, बेईमानी तथा जलन जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचें और अपशब्दों का प्रयोग न करें।
एकादशी व्रत के दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, लेकिन इस दिन दाढ़ी और बाल नहीं कटवाने चाहिए, साथ ही नाखून भी नहीं काटने चाहिए। इन नियमों का पालन करने से व्रत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होता है।
विजया एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। भगवान विष्णु तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते। इसलिए, यदि पूजा के लिए तुलसी के पत्तों की आवश्यकता हो, तो एक दिन पहले ही उन्हें तोड़कर रख लेना चाहिए।
इसके अलावा, इस दिन प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। मांसाहार और मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए, ताकि व्रत का पूरा लाभ मिल सके और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो।
विजया एकादशी के दिन क्या करना चाहिए?
विजया एकादशी के दिन सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। यह दिन विशेष रूप से पुण्य कमाने और समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
विजया एकादशी के दिन काला तिल, गुड़, हल्दी, अनाज, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है।
व्रत का पारण समय
विजया एकादशी व्रत का पारण समय 24 फरवरी 2025 को सुबह 06:50 बजे से लेकर 09:08 बजे तक निर्धारित किया गया है। इस समय के बीच व्रति को पारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे व्रत का फल पूरा मिलता है।
विजया एकादशी का व्रत कथा
भगवान श्री कृष्ण से एकादशी का महात्म्य सुनकर अर्जुन बहुत आनंदित हुए। उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा, “माधव, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या महात्म्य है? कृपया इसके विषय में मुझे पूरी कथा सुनाएं।
अर्जुन की विनम्रता देखकर श्री कृष्ण ने कहा, “प्रिय अर्जुन, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने वाला हमेशा विजयी रहता है। तुम मेरे प्रिय सखा हो, इसलिए मैं तुम्हें इस व्रत की कथा सुनाने जा रहा हूँ। इस व्रत की कथा मैंने आज तक किसी से नहीं सुनाई, केवल देवर्षि नारद ने इसे ब्रह्मा जी से सुना था।
श्री कृष्ण ने फिर कथा प्रारंभ की: त्रेतायुग में भगवान श्री रामचन्द्र जी अपनी पत्नी सीता को खोजते हुए सागर तट पर पहुंचे, जहां उनके परम भक्त जटायु नामक पक्षी ने उन्हें बताया कि सीता माता को रावण लंका ले गया है और वह इस समय आशोक वाटिका में हैं। इस जानकारी के बाद, श्रीराम ने वानर सेना के साथ लंका पर आक्रमण की योजना बनाई, लेकिन सागर पार जाने का मार्ग ढूंढना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया।
जब श्री राम को कोई उपाय नहीं सूझा, तो उन्होंने लक्ष्मण से पूछा, “हे लक्ष्मण, क्या तुम्हारे पास सागर पार करने का कोई तरीका है?” लक्ष्मण ने कहा, “प्रभु, आप सर्वसामर्थवान हैं, फिर भी यदि आप चाहें तो पास ही स्थित वकदाल्भ्य मुनि के पास जाकर उनसे उपाय पूछ सकते हैं।
श्रीराम और लक्ष्मण मुनि के आश्रम पहुंचे, जहां मुनिवर ने उन्हें बताया कि फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करने से वे निश्चित रूप से समुद्र पार कर सकते हैं और रावण को पराजित कर सकते हैं।
जब वह तिथि आई, श्री रामचन्द्र जी ने अपनी सेना के साथ एकादशी का व्रत रखा और मुनि द्वारा बताए गए विधि-विधान का पालन किया। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने सागर पर पुल बना लिया और लंका पर चढ़ाई की। राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें रावण का वध हुआ और श्रीराम ने विजय प्राप्त की।
इस प्रकार, विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति को जीवन में हर तरह की विजय दिलाने वाला माना जाता है।