आगरा में जामा मस्जिद मामले की सुनवाई आज दीवानी के लघु वाद न्यायधीश की कोर्ट में होगी।
आज दीवानी के लघु वाद न्यायधीश की कोर्ट में आगरा जामा मस्जिद मामले की सुनवाई होगी। पिछली बार न्यायधीश के स्थानांतरण की वजह से सुनवाई टल गई थी, जिसके बाद अदालत ने 18 नवम्बर 2023 को नई तारीख तय की थी। आगरा की अदालत में जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है, जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है।
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प्रतिवादी एक पक्ष ने प्रार्थना पत्र दाखिल करके अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई का कोर्ट का क्षेत्राधिकार ही नहीं है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि, लघु वाद न्यायधीश भारतेंदु प्रकाश गुप्ता ने बताया कि, उनका तबादला हो गया है। इस वजह से 6 नवंबर 2023 को सुनवाई नहीं हो सकी थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तारीख को 18 नवम्बर 2023 रखा गया है।
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देवकीनंदन ठाकुरजी ने जामा मस्जिद के सर्वे की मांग की
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने आगरा जिला जज अदालत में एएसआई के तकनीकी विशेषज्ञ से जामा मस्जिद के सर्वे की मांग की है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के देवकीनंदन ठाकुरजी का दावा है कि, मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह को आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया था। इसलिए, अदालत ने पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराने का आदेश दिया है।
इसके साथ ही, जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकालने का काम शुरू किया गया है। इस पर्यावरण में, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने आगरा में सनातन जागृति सम्मेलन किया है, जिससे सनातनी समुदाय को एकजुट करने के लिए बड़े आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि, मैं जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से ले जाऊंगा, तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा।
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औरंगजेब लाया था पुरावशेष और विग्रह
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था। उन्होंने केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेषों को आगरा लेकर आए थे। उन्होंने मूर्तियों और पुरावशेषों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया था। यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है। इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक ‘ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब’ में, मेरी पुस्तक ‘तवारीख-ए-आगरा’ में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ‘ मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास’ में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है।