मथुरा में हुई अनोखी शादी: रुक्मिणी ने कान्हा से रचाया विवाह, बरसाना से आई शानदार बारात

मथुरा में हुई अनोखी शादी: रुक्मिणी ने कान्हा से रचाया विवाह

मथुरा के गांव अरहेरा में एक अनोखी शादी हुई, जो भक्तों के दिलों को छूने वाली थी। 30 वर्षीय रुक्मिणी ने ईश्वर के प्रेम में अपनी आत्मा का समर्पण कर दिया और भगवान श्री कृष्ण से शादी करने का संकल्प लिया। रुक्मणि की भक्ति को देखकर भगवान कृष्ण ने अपनी अनन्य भक्त की इच्छा पूरी की और बरसाना से दूल्हा बनकर उसके गांव पहुंचे। जैसे ही रुक्मणि ने कान्हा के गले में वरमाला डाली, पूरे गांव में कृष्ण कन्हैया के जयकारे गूंज उठे।

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मथुरा की एक युवती ने कान्हा के प्रेम में अपनी आत्मा समर्पित कर दी। उसकी भक्ति और समर्पण को देखकर भगवान श्री कृष्ण भी अपने भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए खुद को रोक नहीं पाए। अपनी अनन्य भक्त की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कान्हा दूल्हा बनकर बरसाना से बारात लेकर युवती के गांव पहुंचे।

यह अद्भुत विवाह मथुरा के गांव अरेहरा में हुआ, जहां रुक्मिणी ने कान्हा के गले में वरमाला डाली। जैसे ही रुक्मिणी ने ने कान्हा के गले में वरमाला डाली। गांव कृष्ण कन्हैया के जयकारों से गूंज उठा। पूरे गांव ने इस अनूठे विवाह उत्सव में भाग लिया और कान्हा के साथ इस अनमोल क्षण का हिस्सा बने।

इस समय मथुरा में शादियों का सीजन चल रहा है, लेकिन बुधवार को सदर तहसील के गांव अरहेरा में हुई शादी सबको हैरान कर देने वाली थी। जब भगवान श्री कृष्ण दूल्हा बनकर अपनी बारात लेकर गांव पहुंचे, तो पूरा गांव इस अद्भुत विवाह समारोह का हिस्सा बनने से खुद को रोक नहीं सका। गांववाले खुशी से झूमते हुए बारात में डांस करते हुए दुल्हन के घर तक पहुंचे, जहां विवाह की सभी रस्मों का आयोजन हुआ। इस अनोखी शादी ने गांव को भक्ति और खुशी से भर दिया।

मथुरा की सदर तहसील के गांव अरहेरा की रहने वाली 30 वर्षीय रुक्मिणी, जो कक्षा आठ तक शिक्षित हैं, बचपन से ही धार्मिक वातावरण में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता परमानंद और मां ब्राह्मवती भी गहरे धार्मिक आस्थावान हैं, और उनके पिता कृष्ण भक्ति में रमे रहते हैं। रुक्मिणी ने बताया कि जब वे 11 वर्ष की थीं, तब उन्होंने टीवी पर मीरा का नाटक देखा था, और उसी दिन से उनके मन में भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति का भाव गहरा हो गया।

रुक्मिणी ने ठान लिया था कि अगर वे शादी करेंगी, तो केवल भगवान श्री कृष्ण से ही करेंगी। 3 भाइयों में अकेली बहन होने के बावजूद, जब रुक्मिणी ने अपने परिवार से यह इच्छा व्यक्त की, तो परिजनों ने बिना किसी आपत्ति के इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद चार महीने पहले मुहूर्त निकलवाया गया और 27 नवंबर को शादी की तारीख तय की गई। इसके बाद विवाह का निमंत्रण पत्र छपवाकर रिश्तेदारी के साथ-साथ गांव में भी वितरित किया गया।

शादी से पहले रुक्मिणी के घर 7 दिन तक श्री मद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। 19 नवंबर को कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें गांवभर के लोग शामिल हुए। इसके बाद 20 से 26 नवंबर तक श्री मद्भागवत कथा का आयोजन बड़े धूमधाम से हुआ.

बरसाना से बारात लेकर युवती के गांव पहुंचे कान्हा
बरसाना के मान मंदिर से बुधवार को सुबह करीब 11:30 बजे भगवान श्रीकृष्ण दूल्हा बनकर अपनी बारात लेकर निकले। इससे पहले घुड़चढ़ी की रस्म अदा की गई, और फिर कृष्ण बग्गी में सवार होकर रुक्मिणी से विवाह करने के लिए निकल पड़े। उनके साथ बरसाना से सैकड़ों लोग बराती बनकर शामिल हुए और पूरे रास्ते में आनंदमय माहौल बना रहा।

जब बारात अरहेरा गांव पहुंची, तो गांववासियों ने फूलों की बारिश कर जोरदार स्वागत किया। गांव की गलियों से होते हुए बारात मंदिर तक पहुंची, जहां पहले से ही मंडप सजाया गया था। इसके बाद द्वारचार और अन्य रस्में पूरी की गईं। इसके बाद, टेंट के नीचे बने छोटे मंच पर कान्हा की प्रतिमा स्थापित की गई, जहां विवाह की अन्य रस्में निभाई गईं।

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