वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर निर्माण को लेकर विरोध और समर्थन का सिलसिला जारी है। मंगलवार को कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और मथुरा-वृंदावन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर परियोजना के समर्थन की बात कही। उनका कहना है कि कॉरिडोर से श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित होंगी, जिससे स्थानीय व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.वहीं, गोस्वामी परिवार और स्थानीय व्यापारी महिलाओं ने बांके बिहारी मंदिर में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने देहरी पूजन और बांके बिहारी विनय पचासा का पाठ कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उनका कहना है कि कॉरिडोर निर्माण से कुंज की गलियां और स्थानीय संस्कृति प्रभावित होगी।
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बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण को लेकर वृंदावन में समर्थन और विरोध की आवाजें लगातार तेज हो रही हैं। मंगलवार को दो विपरीत पक्षों ने इस मसले पर अपनी-अपनी भावनाएं जिलाधिकारी के समक्ष रखीं।
समर्थन में उतरे व्यापारी और होटल एसोसिएशन
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और मथुरा-वृंदावन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए परियोजना का समर्थन किया। CAIT ब्रज प्रांत संयोजक अमित जैन ने कहा कि मथुरा-वृंदावन की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान वैश्विक स्तर पर है। करोड़ों श्रद्धालु साल भर यहां दर्शन के लिए आते हैं, जिससे व्यवस्था और सुरक्षा संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर निर्माण समय की मांग है और यह सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ दृष्टिकोण को मजबूती देगा।
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने भी कॉरिडोर को मथुरा के समग्र विकास के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि काशी और उज्जैन जैसे उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि इस तरह की परियोजनाएं पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देती हैं।
मंदिर परिसर में विरोध प्रदर्शन, महिलाओं ने किया देहरी पूजन
वहीं दूसरी ओर, बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गोस्वामी परिवार और स्थानीय व्यापारिक समुदाय की महिलाओं ने अध्यादेश और कॉरिडोर निर्माण का विरोध किया।महिलाओं ने मंदिर की देहरी पर विशेष पूजन किया, गंगाजल और इत्र से अनुष्ठान किए, और भगवान के समक्ष बांके बिहारी विनय पचासा का पाठ कर सांकेतिक विरोध दर्ज कराया।
प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने प्रशासन पर सांस्कृतिक विरासत को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि कॉरिडोर से प्राचीन कुंज गलियों और स्थानीय जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। प्रदर्शनकारियों ने यह भी सवाल उठाया कि जब तक वैकल्पिक आवास और दुकानें नहीं दी जातीं, तब तक स्थानीय निवासी कहां जाएं।
प्रशासन का कहना है कि -सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा।
प्रशासन दोनों पक्षों से संवाद बनाए हुए है और दावा कर रहा है कि सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल विरोध-समर्थन का यह सिलसिला शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ रहा है, लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन बनाए रखने की चुनौती प्रशासन के सामने बनी हुई है।