वृंदावन: श्रीबांकेबिहारी कॉरिडोर के खिलाफ विरोध लगातार जारी, महिलाओं ने समाज गायन से रिझाए प्रिया प्रियतम

वृंदावन: श्रीबांकेबिहारी कॉरिडोर के खिलाफ विरोध लगातार जारी,

वृंदावन के श्रीबांकेबिहारी मंदिर में प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण और न्यास गठन के खिलाफ विरोध लगातार तेज हो रहा है। पिछले 40 दिनों से जारी इस आंदोलन में शुक्रवार को महिलाओं ने मंदिर के मुख्य द्वार पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने स्वामी हरिदास जी के रचित पदों का गायन कर राधा-कृष्ण को रिझाने का प्रयास किया, जिसे ब्रज की परंपरा में समाज गायन कहा जाता है। जो ब्रज की परंपरा का हिस्सा है।प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि बांके बिहारी जी को गान अर्पित कर ही प्रकट किया गया था, और अब उसी परंपरा के जरिए वे कॉरिडोर के विरोध में अपनी भावनाएं व्यक्त कर रही हैं।इस आंदोलन में मंदिर के गोस्वामी परिवार की बहुएं और व्यापारी वर्ग की महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

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विश्वप्रसिद्ध श्रीबांकेबिहारी मंदिर में प्रस्तावित कॉरिडोर और न्यास गठन के विरोध में जन आक्रोश लगातार गहराता जा रहा है। शुक्रवार को मंदिर प्रांगण में गोस्वामी समाज और व्यापारिक वर्ग से जुड़ी महिलाओं ने शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करते हुए हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की। यह विरोध प्रदर्शन पिछले 40 दिनों से लगातार जारी है।

शनिवार को विरोध की अगुवाई कर रही महिलाओं ने एक विशेष धार्मिक परंपरा ‘समाज गायन’ के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराया। बांके बिहारी मंदिर के मुख्य द्वार पर एकत्र होकर महिलाओं ने स्वामी हरिदास जी द्वारा रचित पदों का गायन कर भगवान राधा-कृष्ण को रिझाने का प्रयास किया। उनका मानना है कि यही मार्ग है जिससे भगवान स्वयं प्रकट हुए थे और यही उनके लिए सबसे प्रिय साधना है।

विरोध में शामिल अनुराधा गोस्वामी ने कहा, “समाज गायन ब्रज संस्कृति की आत्मा है। ये पद केवल भक्ति नहीं, भगवान के प्रति प्रेम का जीवंत रूप हैं। आज हमने उसी पद्धति से अपने लाडले को पुकारा है।महिलाएं विरोध के हर दिन को विशेष बना रही हैं .कभी नारेबाजी, कभी यमुना पूजन, और कभी चुनरी अर्पण के माध्यम से। वे कहती हैं कि बांके बिहारी मंदिर की मौलिकता और आस्था को छेड़ने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है।

गौरतलब है कि श्रीबांकेबिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय गोस्वामी समाज, व्यापारी वर्ग और श्रद्धालुओं में चिंता का माहौल है। वे इसे मंदिर की पवित्रता और पारंपरिक स्वरूप के खिलाफ मानते हैं।फिलहाल, पुलिस और प्रशासन की निगरानी में शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार श्रद्धालुओं और स्थानीय समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस परियोजना को तत्काल निरस्त करे।

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