वृंदावन: प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे अंबाला की शिक्षिकाएं, शिक्षक समाज के लिए मांगा संदेश

वृंदावन: प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे अंबाला की शिक्षिकाएं

अंबाला जिले के नारायणगढ़ क्षेत्र से कुछ शिक्षिकाएं 18 जून को उत्तर प्रदेश के वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज से मिलने केलिकुञ्ज आश्रम पहुंचीं। इस अवसर पर शिक्षिकाओं ने संत से शिक्षक समुदाय के लिए मार्गदर्शन और संदेश की प्रार्थना की। इस पर प्रेमानंद महाराज ने बच्चों में बढ़ती गंदी आदतों, हिंसक प्रवृत्तियों और आधुनिक शिक्षा के प्रभाव पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड कल्चर और मोबाइल के कारण आचरणहीनता की ओर बढ़ रहे हैं। बच्चों में संयम, विनय और सदाचार का अभाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक मूल्यों को नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक यह स्थिति सुधरना मुश्किल है। उन्होंने गीता, नामजप और ब्रह्मचर्य पर बल देने की बात कही.

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अंबाला जिले के नारायणगढ़ क्षेत्र से कुछ शिक्षिकाएं 18 जून को उत्तर प्रदेश के वृंदावन में प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचीं। इस अवसर पर शिक्षिकाओं ने संत से शिक्षक समाज के लिए संदेश की प्रार्थना की, जिस पर उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली और नई पीढ़ी की चुनौतियों को लेकर अपने विचार साझा किए।

संत प्रेमानंद महाराज ने वर्तमान समय में बच्चों में बढ़ती अनुशासनहीनता, हिंसक प्रवृत्तियों और मानसिक अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी गंदी आदतों की शिकार होती जा रही है, जिनमें मोबाइल का अत्यधिक उपयोग, अपसंस्कृति की ओर झुकाव और संबंधों में अपरिपक्वता प्रमुख हैं। उन्होंने इसे आधुनिक शिक्षा प्रणाली की एक बड़ी खामी बताया।

महाराज ने कहा कि विद्या का वास्तविक उद्देश्य केवल बौद्धिक विकास नहीं, बल्कि मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि शिक्षा के साथ विनय, सौम्यता, संयम और सदाचार का समावेश न किया गया, तो देश की नई पीढ़ी भटक सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में जब बच्चे माता-पिता की बातों का विरोध कर रहे हैं और हिंसात्मक व्यवहार तक कर रहे हैं, यह सामाजिक रूप से चिंता का विषय है। यदि विचारों की यह प्रवृत्ति बढ़ती रही, तो आने वाला समय और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

प्रेमानंद महाराज ने शिक्षा व्यवस्था में श्रीमद्भागवत गीता, नामजप, ब्रह्मचर्य और सकारात्मक चिंतन जैसे आध्यात्मिक मूल्यों को शामिल करने पर बल दिया। उनका मानना है कि एक सकारात्मक और संयमित मन ही जीवन की कठिन परिस्थितियों को सहजता से पार कर सकता है।

इस मुलाकात का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और देशभर में इस विषय पर विचार-मंथन हो रहा है कि कैसे शिक्षा के साथ-साथ जीवन मूल्यों और आध्यात्मिक चेतना को भी नव पीढ़ी में रोपित किया जाए।

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